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Dera Sacha Sauda प्रमुख राम रहीम की पैरोल के बाद सियासी हलचल

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डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) प्रमुख राम रहीम की पैरोल के बाद सियासी हलचल के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के पैरोल पर आने के बाद हरियाणा के सिरसा, हिसार और फतेहाबाद इलाकों में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चुनावी माहौल में डेरा समर्थकों की गतिविधियों ने प्रत्याशियों के बीच हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर कयास लगा रहे हैं कि डेरा किस प्रत्याशी को समर्थन देगा और किसे नजरअंदाज करेगा। सिरसा जिले में डेरे का काफी प्रभाव है और इस क्षेत्र में प्रत्याशियों की जीत-हार में डेरा की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण मानी जाती रही है।

डेरा की बदलती रणनीति: पार्टी नहीं, प्रत्याशी को समर्थन

पहले जहां डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) किसी खास राजनीतिक पार्टी को समर्थन देने के लिए जाना जाता था, अब उसकी रणनीति में बदलाव देखने को मिल रहा है। अब डेरा पार्टी की बजाय सीधे तौर पर प्रत्याशियों का चयन कर उन्हें समर्थन दे रहा है। इसका ताजा उदाहरण लोकसभा चुनावों में देखने को मिला, जब कुमारी सैलजा ने डेरा समर्थकों के बूथों से भारी जीत दर्ज की थी। यह साबित करता है कि डेरा का असर चुनावी परिणामों पर कितना गहरा हो सकता है।

हाल ही में, गुरुवार को डेरा के कई स्थानों पर आधे घंटे के लिए बुलाई गई नामचर्चा अचानक रद्द कर दी गई। इस कदम को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है। हालांकि, डेरे के प्रवक्ता और मैनेजमेंट चुनाव से जुड़ी अटकलों पर फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे प्रत्याशियों और राजनीतिक पार्टियों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

डेरा का झुकाव कांग्रेस की ओर?

सूत्रों के अनुसार, इस बार डेरा (Dera Sacha Sauda) अनुयायियों का रुझान कांग्रेस की ओर देखने को मिल रहा है। पहले भी कुछ मौकों पर कांग्रेस को डेरा का समर्थन मिला है, और अब सिरसा, ऐलनाबाद, डबवाली और कालांवाली जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर डेरा की भूमिका निर्णायक हो सकती है।

अगर डेरा खुलकर कांग्रेस का समर्थन करता है, तो इन सीटों पर भाजपा और अन्य दलों के लिए कठिनाई बढ़ सकती है। यह संभावना है कि डेरा के समर्थन से कांग्रेस इन क्षेत्रों में बढ़त बना सकती है, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

बड़े राजनीतिक उलटफेर की संभावना

सिरसा और आसपास के क्षेत्रों में डेरा (Dera Sacha Sauda) समर्थकों की संख्या और उनके संगठित वोट बैंक को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि डेरा का समर्थन जिस भी पक्ष में जाएगा, वह प्रत्याशी मजबूत स्थिति में होगा। यदि कांग्रेस को डेरा का समर्थन मिलता है, तो यह बड़ा राजनीतिक उलटफेर साबित हो सकता है। यह स्थिति भाजपा और अन्य दलों के लिए चुनौतीपूर्ण होगी, क्योंकि डेरा का प्रभाव इन क्षेत्रों में काफी हद तक चुनावी नतीजों को बदल सकता है।

कुल मिलाकर, डेरा सच्चा सौदा की गतिविधियों और राम रहीम की पैरोल के बाद चुनावी समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के लिए डेरे का समर्थन निर्णायक साबित हो सकता है, जिससे चुनावी परिणाम अप्रत्याशित दिशा में जा सकते हैं।

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