इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) द्वारा अपनी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नीति में किए गए बदलावों के विरोध में इंग्लैंड के प्रमुख खिलाड़ी अगले साल की ‘द हंड्रेड’ (The Hundred) प्रतियोगिता का बहिष्कार कर सकते हैं। ईसीबी की नई नीति के अनुसार, खिलाड़ियों को फ्रेंचाइजी टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए बोर्ड से एनओसी की आवश्यकता होती है।
ईसीबी ने पिछले सप्ताह यह निर्णय लिया कि वह उन टूर्नामेंटों के लिए एनओसी जारी नहीं करेगा जिनकी तारीखें इंग्लैंड के घरेलू सत्र से टकराती हैं। हालांकि, जिन खिलाड़ियों के पास अपनी काउंटी टीमों से केवल सीमित ओवरों के क्रिकेट का करार है, उन्हें छूट दी जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, इस नीति में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनमें प्रमुख लीगों की सूची में पाकिस्तान सुपर लीग (PSL) का नाम शामिल किया गया है, लेकिन इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
यह निर्णय इंग्लैंड के खिलाड़ियों के बीच नाराजगी का कारण बन गया है, खासकर उन खिलाड़ियों के लिए जो द हंड्रेड (The Hundred) जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेने का इरादा रखते हैं। रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि इंग्लैंड के लगभग 50 प्रमुख क्रिकेटरों का एक समूह इस नीति के विरोध में द हंड्रेड का बहिष्कार करने पर विचार कर रहा है। इन खिलाड़ियों ने इस सप्ताह प्रोफेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन (PCA) के साथ कई दौर की चर्चा की और इसके बाद ईसीबी के अधिकारियों के साथ बैठक भी की।
ईसीबी का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब आने वाले समय में कई अन्य विदेशी लीगों के साथ-साथ मेजर लीग क्रिकेट (अमेरिका), कनाडा की ग्लोबल टी20 लीग, लंका प्रीमियर लीग, और कैरेबियन प्रीमियर लीग जैसे टूर्नामेंट भी इंग्लैंड के घरेलू सत्र से टकरा सकते हैं। इन टूर्नामेंटों के साथ, इस सूची के और बढ़ने की संभावना है।
इस नीति ने खिलाड़ियों के लिए एक नई चुनौती पैदा कर दी है, क्योंकि वे अब घरेलू क्रिकेट के साथ-साथ इन विदेशी लीगों में खेलने के अवसरों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसके अलावा, इस बदलाव के कारण खिलाड़ियों को अपनी वित्तीय स्थिति पर भी असर महसूस हो सकता है, क्योंकि इन विदेशी लीगों में खेलने से उन्हें अधिक कमाई का अवसर मिलता है। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस बहिष्कार (The Hundred) में न्यूजीलैंड दौरे पर गए खिलाड़ी शामिल हैं या नहीं, लेकिन यह स्थिति क्रिकेट की दुनिया में एक बड़ा मुद्दा बन गई है।