संजय मग्गू
नए साल के पहले दिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पहले से ही शादीशुदा व्यक्ति को लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर सुरक्षा देने से इनकार कर दिया। लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाला जोड़ा हालांकि पंजाब का है, लेकिन इस तरह की घटनाएं अब देश के हर राज्य में देखने को मिलने लगी हैं। भारत में माना जाता है कि शादियां ऊपर तय होती हैं और उनका क्रियान्वयन धरती पर होता है। भारतीय समाज में प्राचीनकाल से एक मान्यता चली आ रही है कि विवाह का बंधन सात जन्मों का होता है। हिंदू समाज में विवाह को बड़ा पवित्र संस्कार माना जाता है। ऐसी स्थिति में यदि कोई व्यक्ति विवाहित होते हुए भी किसी दूसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगे, तो यह विवाह जैसी पवित्र संस्था को नकारने जैसा माना जाएगा। हाईकोर्ट का यह कहना बिल्कुल सही है कि यदि ऐसे जोड़ों को सुरक्षा प्रदान की गई तो समाज में एक गलत संदेश जाएगा। यह द्विविाह या बहुविवाह जैसी कुरीति को प्रश्रय देने जैसा होगा। यह सही है कि हमारे देश में किसी समय बहुविवाह की परंपरा रही है, लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे समाज विकसित होता गया, यह प्रथा खत्म होती गई। आजादी के बाद भारतीय संविधान में भी इस परंपरा को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया। दरअसल, इस तरह के संबंधों से समाज में यौन अराजकता पैदा होती है। अवैध संबंध समाज और विवाह जैसी संस्था के लिए घातक हैं। जिस दंपति ने हाईकोर्ट से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई थी, उसने समाज के मान्य नियमों और परंपराओं का उल्लंघन किया है। जब कोई विवाह करता है, तो उससे उम्मीद की जाती है कि वह अपने जीवन साथी के प्रति वफादार रहेगा। लेकिन इस मामले में पुरुष ने न केवल अपनी पत्नी के अधिकारों का उल्लंघन किया, बल्कि अपने बच्चों के अधिकार को भी नकार दिया है। ऐसे संबंधों से व्यक्ति अपने जीवन साथी और माता-पिता की सामाजिक प्रतिष्ठा को भी धूमिल करता है। पूरे परिवार को समाज की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है। समाज के लोग उस परिवार का उपहास उड़ाते हैं। परिवार का समाज में जीना हराम हो जाता है और इसके लिए जिम्मेदार होते हैं वह पुरुष और महिला जो इस तरह के अनैतिक संबंधों में बंधते हैं। भारतीय समाज में विवाह केवल दो व्यक्तियों का संबंध नहीं माना जाता है, बल्कि यह सामाजिक स्थिरता और नैतिक मूल्यों का मूलभूत आधार बनता है। इससे भारतीय समाज के सांस्कृतिक मूल्यों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जिस पश्चिमी संस्कृति और सभ्यता की दुहाई लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग देते हैं, वहां भी विवाह जैसी संस्था में दोनों से एक दूसरे के प्रति वफादार रहने की अपेक्षा की जाती है। वहां भी विवाहित जोड़े व्यभिचार करते हुए नहीं घूमते हैं।
विवाह संस्था को कमजोर करते हैं विवाहित के लिव इन रिलेशन
- Advertisement -
- Advertisement -