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कनाडा, ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर ट्रंप की कुदृष्टि

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संजय मग्गू
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर अमेरिकी कब्जा चाहते हैं। क्यों? क्योंकि यह दोनों अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने अभी दो दिन पहले ही कनाडा को भी अमेरिका में मिलाने की बात कह चुके हैं। कनाडा के सामने उन्होंने इससे पहले भी यह प्रस्ताव रखा था। कनाडा उत्तरी अमेरिका का एक स्वतंत्र देश है और उस पर अमेरिका की इसलिए नजर है क्योंकि कनाडा में तेल, गैस और लकड़ी का भंडार है। प्राकृतिक संसाधनों के मामले में कनाडा काफी समृद्ध है। कनाडा को अपने में मिलाने की बात कहकर ट्रंप दुनिया भर में न केवल अपना वर्चस्व कायम करना चाहते हैं, बल्कि चुनाव के दौरान दिए गए नारे ‘अमेरिका फर्स्ट’ और ‘अमेरिका को महान बनाओ’ को साकार होता देखना चाहते हैं। ट्रंप अपने को अमेरिकी इतिहास में सबसे विस्तारवादी नेता की छवि बनाकर अमर होना चाहते हैं। टंÑप भी जानते हैं कि कनाडा को अमेरिका में मिलाना इतना आसान नहीं है, लेकिन अमेरिका की मतलबपरस्ती और व्यापारिक हित के लिए कुछ भी कर गुजरने की आदत ने उन्हें उच्छृंखल बना दिया है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर जो नक्शा लगाया है, उसमें कनाडा को अमेरिका का हिस्सा बताया गया है। ट्रंप की ग्रीनलैंड पर भी नजर है। ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट इगा ने साफ कह दिया है कि ग्रीनलैंड उसके लोगों का है और वो बिकाऊ नहीं है। बता दें कि ग्रीनलैंड डेनमार्क का एक स्वयात्तशासी क्षेत्र है, वह एक स्वतंत्र देश नहीं है। राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा और कहीं भी आने जाने की आजादी के नाम पर ट्रंप ग्रीनलैंड को हड़प लेना चाहते हैं। सच तो यह है कि उत्तरी अमेरिका से यूरोप को जाने वाला यह सबसे छोटा मार्ग है। यह दुनिय का सबसे बड़ा द्वीप है। दुनिया के कई दुर्लभ खनिजों का यहां बहुत बड़ा भंडार है। इन खनिजों का सबसे ज्यादा उपयोग बैटरी और तकनीकी उपकरणों को बनाने में होता है। ट्रंप उस अकूत खनिज भंडार पर कब्जा करके तकनीकी क्षेत्र में अमेरिकी वर्चस्व कायम करना चाहते हैं। यदि ग्रीनलैंड अमेरिका के कब्जे में चला गया, तो बैटरी और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों के लिए उपलब्ध होने वाला कच्चा माल यूरोपीय देशों को अमेरिका से ही खरीदना होगा। ग्रीनलैंड ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयान का भरपूर विरोध किया है। ग्रीनलैंड को डेनमार्क से स्वायत्तता हासिल करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। इसके लिए कुरबानी देनी पड़ी है। ऐसे में ग्रीनलैंड अपनी स्वायत्तता और संप्रभुता क्यों खोना चाहेगा। हालांकि शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने यहां पर अपना एक रडार बेस बना रखा था। ग्रीनलैंड पर कब्जा करके ट्रंप यहां से रूस और चीन सहित अन्य देशों पर निगरानी कर सकते हैं। पनामा नहर को भी अपने व्यापारिक हित के लिए हथियाना चाहते हैं, लेकिन पनामा ने इसके लिए इनकार कर दिया है। अमेरिका को सिर्फ अपना हित ही दिखाई देता है।

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