बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
हकीम लुकमान का जन्म अरब में हुआ था। वह देश कौन सा था, इसके बारे में इतिहासकारों में मतभेद है। नूबिया, सूडान या इथोपिया में से किसी एक देश में पैदा हुए थे हकीम लुकमान, ऐसा भी मानने वाले इतिहासकार हैं। बहरहाल, यूनानी चिकित्सा में लुकमान का काफी नाम था। लुकमान का जिक्र कुरान में भी किया गया है। एक कथा के अनुसार, बचपन में वह किसी उमराव के वह गुलाम थे। उन दिनों अरब में गुलाम रखने की प्रथा थी। बाद में उमराव ने लुकमान को गुलामी से मुक्त कर दिया था। इसके बारे में भी एक कहानी कही जाती है। कहते हैं कि एक दिन उमराव ककड़ी खा रहा था जो काफी कड़वी थी। उसने आधी ककड़ी लुकमान को खाने को दी, तो उन्होंने खा ली। उमराव ने पूछा कि तुमने बताया नहीं कि ककड़ी कड़वी थी। लुकमान ने कहा कि जब आप रोज स्वादिष्ट भोजन खाने को देते हैं, तो क्या एक दिन में कड़वी ककड़ी नहीं खा सकता? यह सुनकर उमराव प्रसन्न हुआ और उसने लुकमान को गुलामी से मुक्त कर दिया। कहते हैं कि इसके बाद उन्होंने चिकित्सा विज्ञान की खूब मन लगाकर पढ़ाई की और उन्होंने सभी तरह के रोगों का उपचार खोज लिया। यह भी कहा जाता है कि वह भारतीय आयुर्वेद के जनक चरक के समकालीन थे। लुकमान ने अपने एक दूत को चरक के पास संदेश भेजते हुए कहा कि रास्ते में तुम इमली के पेड़ के नीचे ही रात्रि विश्राम करना। जब वह दूत चरक के पास पहुंचा, तो उसके शरीर पर फफोले पड़े हुए थे। चरक ने संदेश का कागज देखा, उस पर कुछ नहीं लिखा हुआ था। चरक ने भी एक कागज देते हुए कहा कि तुम रात में नीम के नीचे रुकना। जब दूत लुकमान के पास पहुंचा, तो उसके फफोले ठीक हो गए थे। चरक ने जो कागज भेजा था, वह भी सादा था।
गुलामी से मुक्त हुए हकीम लुकमान
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