हिम्मत और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो असंभव काम भी संभव हो जाता है। इसका सबसे बढ़िया उदाहरण चींटी है। वह अपने वजन का दस गुना भारी वजन उठाकर दीवार पर चढ़ सकती है। असंभव से लगने वाले काम को वह करके दिखा देती है। इस तरह अमेरिका के टैनेसी राज्य की एक दिव्यांग लड़की ने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने सपने को सच कर दिखाया। एक दिन की बात है। वह अपनी कक्षा में पढ़ रही थी, तभी अध्यापक ने सबसे पूछना शुरू किया कि वे पढ़ लिखकर क्या बनना चाहते हैं। इस सवाल का जवाब हर बच्चे ने अपनी-अपनी इच्छानुसार दिया।
किसी ने इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर की, तो किसी ने अध्यापक बनने का ख्वाब बताया। एक लड़की से किसी ने नहीं पूछा, लेकिन वह खुद खड़ी हुई और बोली कि मैं धाविका बनना चाहती हूं। मेरी इच्छा है कि मैं ओलंपिक में मेडल जीतूं। यह सुनकर सभी लड़के हंस पड़े। अध्यापक ने भी व्यंग्य भरे लहजे में कहा कि तुम ठीक से चल नहीं पाती हो और ओलंपिक में मेडल जीतना चाहती हो।
उस समय तो लड़की ने कुछ नहीं कहा, लेकिन जब अगले दिन वह स्कूल आई तो उसने अपने अध्यापक से कहा कि आप देखना एक दिन मैं ओलंपिक में मेडल जीतकर दिखाऊंगी। उसी दिन से उस लड़की ने पहले चलने और बाद में दौड़ने का अभ्यास करना शुरू कर दिया।
जैसे-जैसे वह पारंगत होती गई, उसका आत्म विश्वास बढ़ता गया। एक दिन वह अच्छा धाविका बन गई। उसने ओलंपिक में भाग लिया और एक ही दिन में तीन गोल्ड मेडल जीते। यह अपंग लड़की थी विल्मा रुडोल्फ जिसने अपनी जुनून के चलते इतिहास में अपना नाम अमर कर लिया। सच ही कहा गया है कि जिद करने से सफलता हासिल होती है।