किसी भी व्यक्ति की गलतियों को उजागर करना, बहुत आसान है। लेकिन उन गलतियों को भविष्य में न करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ जाना बहुत कठिन है। कई बार ऐसा भी होता है, जब किसी की कोई गलती बताई जाती है, तो वह नाराज हो जाता है। उसको लगता है कि उसकी बेइज्जती कर दी गई है। पद या सत्ता का अहंकार भी मनुष्य को चैन से जीने नहीं देता है। किसी महत्वपूर्ण पद या सत्ता के शीर्ष पर बैठा व्यक्ति अहंकार में कई बार दूसरे को कुछ नहीं समझता है। इसी बात को चीन के महान फकीर चुआंग चाऊ ने बहुत आसान भाषा में समझाया है। एक रात वे अंधेरे में कहीं जा रहे थे।
उनका पैर एक खोपड़ी से टकराया, तो वे उस खोपड़ी को लेकर अपनी कुटिया में लौट आए। अगले दिन उन्होंने उस खोपड़ी को कुटिया के सामने रखा और लगे उस खोपड़ी से माफी मांगने। लोगों ने देखा तो कहा कि फकीर पागल हो गया है क्या? इस पर फकीर चुआंग चाऊ ने जवाब दिया कि जिस व्यक्ति की यह खोपड़ी है, वह कभी इस देश का राजा हुआ करता था। उसके सिर पर पैर रखने या सिर से पैर टकराने वाले को फांसी की सजा दे सकता था। यदि इसके जीवित रहते ऐसा हो जाता, तो मेरी पता नहीं क्या दुर्गति होती? इसलिए इसे क्षमा मांगना ही उचित है।
चुआंग ने कहा कि मैं इस मरे हुए आदमी से यह कहना चाहता हूं कि एक समय तू भी सोचता होगा कि मैं सिंहासन पर बैठा हूं। मैं कुछ भी कर सकता हूं, लेकिन आज तेरा सिर एक फकीर की ठोकर खा रही है। इसलिए किसी को सत्ता या पद का अहंकार नहीं करना चाहिए। यह सुनकर लोगों को फकीर की बात समझ में आ गई। उन्होंने इस बात को अच्छी तरह गांठ बांध ली कि हर व्यक्ति का अच्छा समय भी आता है, बुरा समय भी। लोगों को यह बात ध्यान रखनी चाहिए।
अशोक मिश्र