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जीएसटीएन से खुलेगी फर्जी बिल बनाने वालों की कुंडली

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नई दिल्ली। फर्जी बिल के जरिए टैक्स चोरी करने वालों की अब खैर नहीं है। अब सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) को पीएमएलए के तहत लाने का फैसला किया है। इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है। जीएसटीएन को उन एंटिटीज की लिस्ट में शामिल किया गया है जिनकी जानकारी ईडी और फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) के साथ शेयर की जानी जरूरी है। इसका मतलब है कि अब जीएसटी से जुड़े मामलों में ईडी और एफआईयू सीधा दखल दे सकेंगी। साथ ही ईडी जीएसटी चोरी करने वालों फर्म, व्यापारी या संस्था के खिलाफ सीधे कार्रवाई कर सकेंगे। इससे ईडी को जीएसटी चोरी से जुड़े मामलों में मदद मिलेगी।


सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक जीएसटी नेटवर्क का डेटा ईडी और एफआईयू के साथ साझा किया जाएगा। इस लिस्ट में अब कुल 26 एंटिटीज हो गई हैं। अगर एफआईयू और ईडी को किसी जीएसटी एसेसी का फॉरेक्स ट्रांजैक्शन संदिग्ध लगता है तो वे इस बारे में जानकारी जीएसटीएन के साथ साझा करेंगे। ईडी फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन के एक मामले की जांच कर रही है। इस मामले में यह सामने आया है कि कुछ लोगों ने चोरी के पैन और आधार का इस्तेमाल करके जीएसटी रजिस्ट्रेशन किया और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए शेल कंपनियां बनाईं।

केंद्र और राज्य सरकार के जीएसटी अधिकारियों ने फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए 60,000 जीएसटी आइडेंटिफिकेशन नंबर को चुना है। पूरे देश में फील्ड टैक्स आॅफिसर इनका वेरिफिकेशन कर रहे हैं। इनमें से 50,000 से अधिक नंबरों को वेरिफाई किया जा चुका है। इसमें से 25 परसेंट फर्जी निकले हैं और अब तक 11,000 से अधिक जीएसटीएन को सस्पेंड कर दिया गया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड कर चोरी रोकने को लेकर कई कदम उठा रहा है। सीबीआईसी के अध्यक्ष विवेक जौहरी ने पिछले महीने कहा था कि सरकार फर्जी बिलिंग और फर्जी चालान पर अंकुश लगाने और फर्जी बिजनस की पहचान करने के प्रति गंभीर है।

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