Share Market 2024: साल 2023 निवेशकों को मिले शानदार मुनाफे के लिए याद किया जाएगा। लेकिन, भारतीय शेयर बाजार महत्वपूर्ण घटनाक्रमों से भरे 2024 में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं। नए साल में शेयर बाजार की निगाहें ब्याज दरों के साथ लोकसभा चुनाव और भू-राजनीतिक घटनाक्रम पर रहेगी।
वर्ष 2024 में भी शेयर बाजार में जारी रहेगी तेजी
विश्लेषकों का मानना है कि वर्ष 2024 में भी घरेलू शेयर बाजार (Share Market 2024) में तेजी जारी रहेगी। अगले छह माह में प्रमुख शेयर सूचकांक – सेंसेक्स और निफ्टी सात प्रतिशत तक चढ़ सकते हैं। वर्ष 2023 में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 11,399.52 अंक या 18.73 प्रतिशत बढ़ा। वहीं, एनएसई निफ्टी में 3,626.1 अंक या 20 प्रतिशत की तेजी हुई।
लोस चुनाव और US राष्ट्रपति चुनाव पर निगाहें
जानकारों की राय है कि लोकसभा चुनाव, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव, अमेरिका और भारत में ब्याज दरों की चाल, मुद्रास्फीति के रुझान और भू-राजनीतिक हालात शेयर बाजार (Share Market 2024) के लिए प्रमुख कारक होंगे। उनका कहना है कि बाजार 2024 के आम चुनावों में बहुमत के साथ भाजपा सरकार की वापसी चाहता है।
ब्याज दर में कटौती से बाजार को मिलेगा बढ़ावा
मोतीलाल ओसवाल ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रिब्यूशन ने एक टिप्पणी में कहा कि लोकसभा चुनाव और उसके बाद पहले आम बजट पर सभी की नजरें रहेंगी। ब्याज दर में किसी भी कटौती से बाजार को अतिरिक्त बढ़ावा मिलेगा। इस साल यानी 2023 में शेयर बाजार के निवेशकों की पूंजी में 81.90 लाख करोड़ रुपये की भारी बढ़ोतरी हुई।
3-6 महीने बनी रहेगी तेजी
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के चेयरमैन राकेश मेहता ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था (Share Market 2024) बना हुआ है। हाल में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की बढ़त ने निवेशकों की भावना को और बल दिया है।
उन्होंने कहा कि व्यापक आर्थिक कारकों के सकारात्मक होने के साथ ही अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट के चलते एक बार फिर भारतीय बाजारों में विदेशी कोषों की लिवाली बढ़ी है।
उन्होंने उम्मीद जताई की मौजूदा तेजी अगले 3-6 महीनों में बनी रहेगी। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी (Share Market 2024) में 5-7 प्रतिशत की बढ़ोतरी तथा मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 10-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है। शेयर कारोबार मंच ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ न्यति ने कहा कि 2024 में उम्मीद है कि विदेशी निवेशक खरीदारी करेंगे। अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट और डॉलर सूचकांक के कमजोर होने के कारण ऐसा होगा।