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बोधिवृक्ष : लगन हो तो बाधाएं कुछ नहीं कर सकती हैं

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अशोक मिश्र
ग्लेन वर्निस कनिंघम अमेरिका के एक मध्यम दूरी के धावक थे। उन्हें आज भी अमेरिका का सबसे अच्छा धावक माना जाता है। कनिंघम को 1933 को जेम्स ई. सुलिवन पुरस्कार दिया गया था। उनका जन्म 4 अगस्त 1909 को अटलांटा में हुआ था। जब वह आठ साल के थे, तो उनके साथ एक दुर्घटना घट गई थी जिसने उनकी जिंदगी को ही बदलकर रख दिया। हुआ यह था कि उन्हें और उनके 13 वर्षीय भाई फ्लायट कनिंघम को स्टोव में  केरोसिन डालने की जिम्मेदारी दी गई थी। एक दिन गलती से उनके भाई फ्लायड ने केरोसिन की जगह गैसोलीन डाल दी। स्टोव को जलाते ही एक भारी विस्फोट हुआ और आग लग गई। ग्लेन और उनका भाई फ्लायड बुरी तरह झुलस गए। बादमें उनके भाई फ्लायड की मौत हो गई। ग्लेन खुद भी बहुत जख्मी हो गए थे। अस्पताल में डॉक्टर ने उनके पैर काटने की सलाह दी जिसे ग्लेन ने स्वीकार नहीं किया। डॉक्टर ने कहा कि वह जिंदगी भर सामान्य रूप से चल फिर नहीं पाएंगे। लेकिन ग्लेन ने हिम्मत नहीं हारी। वह कुछ समय बाद लगातार अभ्यास से चलने लगे। फिर उन्होंने स्कूल में होने वाली दौड़ प्रतियोगिता जीती और उसके बाद तो फिर जैसे ग्लेन की उम्मीदों को पंख लग गए। ग्लेन कनिंघम ने 1032 और 1936 के ग्रीष्म कलीन ओलिंपिक में भाग लिया और चौथा और दूसरा स्थान हासिल किया। इसके बाद ग्लेन की जीवन यात्रा चलती रही। उन्होंने जीवन भर गरीब और असहाय बच्चों की मदद करते रहे। कहा जाता है कि उन्होंने दस हजार गरीब बच्चों की मदद की थी। कनिंघम ने आयोवा विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। ग्लेन ने साबित किया कि यदि लगन हो तो बाधाएं कुछ नहीं कर सकती हैं।

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