किसानों को उनका हक मिले, उन्हें सरकारी सहायता-सुविधाओं के लिए इधर से उधर भटकना न पड़े, पिछले साढ़े आठ सालों के दौरान हरियाणा की मनोहर लाल सरकार का सबसे ज्यादा जोर इसी बिंदु पर रहा। लेकिन, अमला है कि सारे किए-धरे पर पानी फेरने पर आमादा है। सरकारी खजाने को तरह-तरह से लूटना अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अपना धंधा बना लिया है। वृद्धावस्था पेंशन में भारी गोलमाल अभी सुर्खियों में बरकरार है। और अब, भ्रष्ट पटवारी का काला कारनामा सामने आ गया। जींद जिले की उचाना तहसील के पटवारी सन्नी ने प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की खराब फसलों की नुकसान भरपाई के लिए जारी मुआवजा राशि पर ही हाथ साफ कर दिया। जांच में यह बात सामने आई है कि उसे सट्टा खेलने की लत है।
मालूम हो कि सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाने की न सिर्फ घोषणा की, बल्कि आज तक वह अपने इस प्रण पर कायम भी हैं। आप पिछले तीन महीनों के अखबार उठाकर देख लीजिए, विजिलेंस एवं सीएम फ्लाइंग स्क्वायड ने भ्रष्टाचारियों की नाक में दम कर रखा है और बड़ी संख्या में ऐसे लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जिनसे रिकवरी की कार्यवाही जारी है। पुरानी कहावत है कि जब बाड़ ही खेत को चरने लगें, तो रखवाले का क्या कुसूर! भ्रष्टाचार के भाड़ को मनोहर लाल जैसे लोग अकेले ध्वस्त भला कैसे कर सकते हैं! जब अमला अपनी दूषित महत्वाकांक्षाओं को परवान चढ़ाने के लिए तंत्र में सेंध लगाने में जुटा हुआ है, तो सरकार कहां-कहां और किस पर निगरानी रखेगी!
दरअसल, किसी भी सरकार की कामयाबी अथवा नाकामयाबी के पीछे अधिकारियों एवं कर्मचारियों का बहुत बड़ा हाथ होता है। यह तंत्र चाहे, तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है। और, यही अगर मुंह मोड़ ले अथवा अपने कर्तव्यों के प्रति हीलाहवाली करने लगे, तो कोई भी कार्य होना संभव नहीं है। किसानों की मुआवजा राशि हजम करने वाले पटवारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन, जांच का विषय यह भी होना चाहिए कि इस काले कारनामे में और कौन-कौन लोग शामिल हैं, क्योंकि ऐसा सिर्फ एक शख्स अकेले नहीं कर सकता।
संजय मग्गू