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हॉलिडे होमवर्क को पूरा करना किसी मिशन से कम नहीं

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पहले गर्मियों की छुट्टियों में बच्चे अपने मां-बाप के साथ दादा दादी, नाना-नानी, मामा-मामी के घर छुट्टियां बिताने जाते थे। पर्यटन यात्रा पर जाकर खूब मौज मस्ती करते थे, लेकिन आज बच्चों से यह मौज मस्ती और आनंद छिन गया है। इसका सबसे बड़ा कारण स्कूल प्रबंधकों  द्वारा गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों को दिया गया भारी भरकम और उनकी समझ से परे दिया गया होमवर्क। जिस वजह से बच्चे अपने दादा-दादी व नाना-नानी के घर नहीं जा पा रहे हैं। अगर कुछ दिन के लिए जाते भी हैं तो वहां भी होमवर्क करने की उधेड़बुन में लगे रहते हैं। ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में हॉलिडे होमवर्क देने और छुट्टियों में क्लास लगाने पर केरल उच्च न्यायालय ने भी गंभीर टिप्पणी व्यक्त करते आदेश पारित किया है। केरल उच्च न्यायालय ने 25 मई को राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था जिसमें गर्मी की छुट्टियों के दौरान कक्षाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

केरल सीबीएसई स्कूल प्रबंधन संघ और अन्य द्वारा सीबीएसई स्कूलों में अवकाश कक्षाएं आयोजित करने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर निर्देश जारी करते हुए अदालत ने कहा कि छात्रों को छुट्टियों का आनंद लेना चाहिए और अपने अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए कायाकल्प करना चाहिए। अदालत ने कहा कि छात्रों को अपने रिश्तेदारों के साथ समय बिताने और मानसिक विराम के लिए गर्मी की छुट्टी आवश्यक हैं।

कोर्ट ने कहा कि सिर्फ स्कूली किताबों पर ध्यान देना ही उनके लिए काफी नहीं होगा। उन्हें गाने दो, उन्हें नाचने दो, उन्हें अगले दिन के होमवर्क  के डर के बिना इत्मीनान से अपना पसंदीदा खाना खाने दो, उन्हें अपने पसंदीदा टेलीविजन कार्यक्रमों का आनंद लेने दो। उन्हें क्रिकेट, फुटबॉल या उनके पसंदीदा खेल खेलने दें। अन्हें अपने हाथ के साथ यात्राओं का आनंद लेने दें। एक व्यस्त शैक्षणिक वर्ष में छात्रों के लिए एक ब्रेक आवश्यक है। 

केरल हाईकोर्ट की यह टिप्पणी और आदेश उन स्कूल संचालकों को आइना दिखा रहा है जो ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में बच्चों को ऐसा ऐसा कठिन होमवर्क दे रहे हैं जिसको देखकर बच्चों के साथ-साथ उनके पेरेंट्स के भी होश उड़ रहे हैं। पेरेंट्स मजबूरी बस प्रोफेशनल व्यक्तियों से होमवर्क पूरा करा रहे हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि स्कूल प्रबंधक बच्चों को जो होमवर्क देते हैं, उसका औचित्य क्या है?

नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी से लेकर प्राथमिक क्लास के बच्चों को ऐसा होमवर्क करने को दिया जा रहा है जिसके बारे में उनको कुछ भी नॉलेज नहीं होती है। लेकिन होमवर्क तो पूरा करना है। अत: बच्चे होमवर्क पूरा करने के लिए मां-बाप का सहारा लेते हैं। जिनके मां-बाप पढ़े लिखे होते हैं वे तो होमवर्क पूरा करने में या कराने में मदद कर देते हैं लेकिन जिन बच्चों के मां-बाप ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं, वे पैसा देकर प्रोफेशनल लोगों से होमवर्क पूरा कराते हैं।

हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा का कहना है कि गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों को होमवर्क देना ही नहीं चाहिए। पूरे शिक्षा सत्र में सिर्फ 25-30 दिन ही ग्रीष्मकालीन अवकाश के  रूप में बच्चों को मिलते हैं जिसमें वे नाना नानी के घर जाने या माता पिता के साथ  पर्यटन पर जाकर मौज-मस्ती के लिए जाना चाहते हैं। उनसे ऐसा अवसर छीनना किसी भी तरह से ठीक नहीं है। स्कूल प्रबंधक होमवर्क देकर सीबीएसई और हरियाणा शिक्षा नियमावली के उस नियम का उल्लंघन कर रहे हैं जिसमें कहा गया है कि प्री प्राथमिक कक्षा व प्राइमरी क्लास तक के बच्चों को होमवर्क देना ही नहीं चाहिए। लेकिन स्कूल प्रबंधक अपने स्कूल का स्टेटस सिंबल दिखाने और प्रोफेशनल लोगों और दुकानदारों की कमाई कराने  के लिए भारी-भरकम होमवर्क देते हैं।

नेट क्वालिफाइड पीजीटी सरकारी टीचर डिंपल गौड़ कहती हैं कि एक और हरियाणा सरकार अपने सरकारी स्कूलों के बच्चों को होमवर्क ना देकर उनको अपने नाना-नानी के घर व पर्यटन यात्रा पर जाने का मौका दे रही है तो दूसरी ओर प्राइवेट स्कूल संचालक खासकर सीबीएसई स्कूल वाले बच्चों को ग्रीष्म अवकाश में होमवर्क के रूप में इलेक्ट्रिक-सर्किट, एम्यूजमेंट पार्क का थ्रीडी मॉडल, दिल्ली मेट्रो और फ्लाईओवर का प्रोजेक्ट बनाने, थर्माकोल का एफिल टॉवर बनाने, कंप्यूटर का वर्किंग मॉडल, संस्कृति से गणित के फार्मूलों की डिक्शनरी बनाने का प्रोजेक्ट दे रहे हैं।

कैलााश शर्मा

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