भारत को इस बात का कतई अंदेशा नहीं था कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस स्तर तक उतर आएंगे। उन्होंने सोमवार को कनाडा की संसद में भारत पर जो आरोप लगाए हैं, वह अस्वीकार्य ही नहीं, घृणित भी हैं। अब इस बात का कोई मतलब नहीं है कि पहले किसने किसके राजनयिक को देश छोड़ने को कहा। सत्य यह है कि दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। यदि इस मामले पर गंभीरता से विचार किया जाए, तो सबसे पहले भारत ने ही जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले और सम्मेलन के दौरान कनाडा में अलगाववादियों की बढ़ती गतिविधियों का मामला उठाया था।
इससे खिसियाए कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कराने का आरोप भारत पर लगाया। यह दोनों देशों के संबंध के सबसे ज्यादा खराब होने का संकेत है। अभी एकाध दशक तक इन संबंधों के सुधरने के आसार भी नहीं दिख रहे हैं। जब से ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से भारत और कनाडा के संबंधों में तल्खी आनी शुरू हुई थी। मई 2014 में पहली बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और उसके अगले साल जस्टिन ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री बने। ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने से पहले पीएम मोदी कनाडा के दौरे पर गए थे, तब से वे वहां नहीं गए हैं।
वहीं, जब वर्ष 2018 में जस्टिन ट्रूडो सात दिवसीय भारत यात्रा पर आए थे, तब उन्होंने भारत पर गर्मजोशी से स्वागत न करने का आरोप लगाया था। परिवार के साथ ताजमहल देखने जाने पर भी उन्होंने भारत पर उत्साहरहित स्वागत की बात कही थी। भारत और कनाडा के बिगड़ते संबंधों को लेकर अमेरिका चिंतित हो गया है। भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते और चीन के खिलाफ भारत का मिलने वाला सहयोग अमेरिका खोना नहीं चाहता है। अमेरिका और भारत संबंध इन दिनों जितने मधुर हैं, उतने कभी नहीं रहे। अगर वह भारत का पक्ष लेता है, तो कनाडा के नाराज होने का खतरा है। कनाडा नाटो का सदस्य है।
भारत का साथ देने का मतलब है कि नॉटो देशों के खिलाफ जाना। अमेरिका ऐसा कभी नहीं चाहेगा। नॉटो देशों के खिलाफ जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। ऐसी हालत में उचित तो यही होगा कि वह इस मसले में पड़े ही नहीं। लेकिन कनाडा इस मामले में नॉटो को शामिल करने के प्रयास में है। यही वजह है कि भारत से लौटते ही उन्होंने भारत पर अस्वीकार्य आरोप लगाए हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि उन्होंने अपने आरोप को लेकर अपने निकटतम देशों ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैंक्रा और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात की है। ये सभी देश नॉटो के सदस्य देश हैं।
अब इन देशों का रुख क्या रहेगा, इसके बारे में अभी तो कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन भारत की वैश्विक हैसियत और धाक को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि कोई भी देश इस मामले में अपने को फंसाना नहीं चाहेगा। यह शायद पहला मौका है, जब किसी देश ने इस तरह खुलेआम भारत पर कोई भद्दा आरोप लगाया है।
संजय मग्गू