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ट्रंप और मोदी की मुलाकात पर टिकी दुनिया की निगाहें

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संजय मग्गू
कल यानी 13 फरवरी को पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका पहुंच रहे हैं। स्वाभाविक है कि उनकी ह्वाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से दूसरे कार्यकाल में पहली बार मुलाकात होगी। पीएम मोदी से पहले इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा और जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह अमेरिका में ट्रंप से मुलाकात कर चुके हैं। पीएम मोदी और ट्रंप की मुलाकात को लेकर दुनिया भर की निगाहें टिकी हुई हैं। इसके पर्याप्त कारण भी हैं। राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद ट्रंप कई देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर चुके हैं। अभी तीन दिन पहले ही उन्होंने अमेरिका में आयात होने वाले स्टील और एल्यूमीनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। अमेरिका की सूची में स्टील और एल्यूमीनियम के मुख्य आपूर्तिकर्ता देश कनाडा, मैक्सिको और ब्राजील  हैं। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत के कुल आयरन और स्टील निर्यात में 28.12 फीसद निर्यात अमेरिका को किया गया था।  अब जब ट्रंप ने स्टील पर 25 प्रतिशत और एल्यूमीनियम पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, तो स्वाभाविक है कि भारत को नुकसान होना तय है। हालांकि यह भी सही है कि कनाडा, मैक्सिको या चीन की तरह ट्रंप ने भारत पर अभी कोई टैरिफ की घोषणा नहीं की है, लेकिन जब 27 जनवरी को ट्रंप और मोदी में टेलीफोन पर बातचीत हुई थी तो ट्रंप ने रक्षा सौदों में बढ़ोतरी की बात जरूर कही थी। यहां पर आकर बात फंस जाती है क्योंकि ट्रंप चाहते हैं कि भारत अमेरिका से ज्यादा से ज्यादा रक्षा सामग्री खरीदे, वहीं भारत रक्षा से जुड़े उत्पादों को अपने यहां बनाना चाहता है। वह इस मामले में आत्म निर्भर होने की कोशिश कर रहा है। कई मायने में वह अब इस स्थिति में पहुंच चुका है कि वह रक्षा सामग्री को निर्यात कर सके। कुछ देशों को वह रक्षा सामग्री निर्यात भी कर रही है। ट्रंप ने द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करने की बात की थी। जिस व्यापार घाटे की बात ट्रंप भारत के संदर्भ में कर रहे हैं, वह तो अमेरिकन अर्थव्यवस्था के हिसाब से बहुत मामूली है। चार ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था वाले देश भारत का 29 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका से तुलना भी नहीं की जा सकती है। वैसे भी अमेरिकी बाइक हार्ले डेविडसन पर भारत सरकार ने टैरिफ कम कर दिया है। अमेरिकन व्हिस्की पर भी कम करने की तैयारी है। इन उत्पादों को छोड़कर भारत अमेरिकी उत्पादों पर सिर्फपांच प्रतिशत टैरिफ लगाता है। इसके बावजूद अगर टंप भारत को टैरिफ किंग कहते हैं, तो वह कतई उचित नहीं है। वैसे भी अगर ट्रंप सभी देशों के लिए किसी उत्पाद पर टैरिफ बढ़ाते हैं, तो उसका प्रभाव भारत पर पड़ना तय है। ऐसी स्थिति में अब भारत और दुनिया के देशों की निगाह कल अमेरिका में ट्रंप और मोदी की मुलाकात पर टिकी हुई है। वैसे यह बात तय है कि यदि एक बार ट्रंप की बात मान ली गई, तो वह अंतिम नहीं होगा। वह बार-बार अपना दबाव बनाते रहेंगे।

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