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कला: चित्रकार पाउलो एवं उनकी कृतियां

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पाउलो चित्रकार के साथ ही बहुत अच्छे गणितज्ञ भी थे। फलत: दृश्यों के परिप्रेक्ष्य पर लगातार गणितीय सिद्धांत से कार्य करते रहे। मूर्तिकार लॉरेंजो घिबर्टी के यहां प्रशिक्षण एवं प्रसिद्ध मूर्तिकार दोनातेल्लो जैसे लोगों के साथ का ही असर रहा कि जिस समय बाकी कलाकार परिप्रेक्ष्य के बाहरी आडंबर, गोथिक शैली एवं धार्मिक विषयों में उलझे हुए थे, उच्चेलो निरंतर शोधरत सृजनता की तरफ बढ़ रहे थे। कृतियों में त्रि-आयामी प्रभाव उत्पन्न करने में भी आप लगातार लगे रहे जिसका प्रमुख उदाहरण आपकी आगे बनी कृतियां थीं। आपके परिप्रेक्षीय गणना के सहारे ही कई कलाकार आगे चलकर बहुत अच्छा कर सके हैं जिसमें प्रमुखता से ड्यूरर एवं विंची का नाम लिया जा सकता है।

उच्चेलो के जन्म समय को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति रही है, उनकी कृतियों पर चर्चा में भी कमोबेश यही हाल है। ज्योर्जियो वसारी जिन्हें पहला कला इतिहासकार भी कहा जाता है, की पुस्तक ‘लाइव्स आॅफ द मोस्ट एक्सीलेंट पेंटर्स, स्कल्प्टर्स एंड आर्किटेक्ट्स’ में लिखी बातें ही उच्चेलो के बारे में जानकारी उपलब्ध करा पाती हैं। इमारतों का परिप्रेक्षीय अंकन, रैखिक संपन्नता भी उच्चेलो के यहां देखने को मिलता है। जानवरों के चित्रों पर भी अच्छे कामों का संचयन आपकी उपलब्धि है। जानवरों से प्रेम, चित्र और आपके नाम के पीछे भी एक लम्बी कहानी है।

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आपके वेनिस यात्रा के दौरान मोजैक पर भी काम करने का जिक्र मिलता है। सर जॉन हॉकवुड के घुड़सवारी स्मारकीय भित्तिचित्रण में भी परिप्रेक्ष्य की गहरी पकड़ है। ‘सैन रोमानो की लड़ाई’ चित्र में रंग संयोजन, युद्ध के दांव-पेच, अलंकरणों की अधिकता आदि के साथ ही महत्वपूर्ण बात रही परिप्रेक्षीय गणना। हालांकि कुछ घोड़े कपड़े के खिलौने, बुत या कुछ अजीब से बन पड़े हैं, पर उस समय के लिए यही बात किसी विशेष उपलब्धि से कम नहीं थी। कुछ-कुछ जगहों पर अतिप्रवाह है पर कहीं-कहीं आवश्यकता से अधिक स्थिरता भी। ब्रूनेलेसी, मासच्चियो आदि कलाकारों में भी परिप्रेक्षीय गणना की बात मिलती है, कृति में पास की वस्तुएं बड़ी दूर की छोटी के साथ ही रास्ते, पेड़-पौधे आदि सभी का भी सुंदर संयोजन है। यह कृति युद्ध के अलग-अलग दिनों को दिखाता है और तीन भागों में विभक्त है।

प्रत्येक लगभग तीन मीटर से बड़ा ही है और तीन जगहों पर संरक्षित भी। कृति का निर्माण लकड़ी के पटल पर हुआ है। वहीं कृति ‘जंगल में शिकार’ पुनरुत्थान कालीन भविष्य के कृतियों हेतु एक उत्साह लिए हुए था। शिकारी, घोड़े, पेड़-पौधे आदि में परिप्रेक्ष्य का प्रयास है, रंगों का अच्छा संयोजन भी है, पर पेड़ों के ऊपर से झांकता आसमान, पेड़ों के बनावट आदि में बनावटीपन भी साफ झलकता है। भागते कुत्तों का अंकन हर स्तर से जबरदस्त है विशेषत: रिदमिक के पैमाने पर, कुछ घोड़े या मनुष्य का संतुलन कुछ खोता सा जान पड़ा है।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

पंकज तिवारी

-पंकज तिवारी

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