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राकफेलर बोले, नियम तोड़ना उचित नहीं था

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बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
जान डेविडस राकफेलर दुनिया के पहले अरबपति थे। वह एक मामूली परिवार में पैदा होकर अमेरिका के सबसे अमीर आदमी बने थे। उनका जन्म 8 जुलाई 1939 में न्यूयार्क में हुआ था। जब वह सोलह साल के हुए तो उन्होंने हैविट एंड ट्यूडल के साथ असिस्टेंट बुककीपर के तौर पर काम शुरू किया। इसके बाद तो उन्हें जो काम मिला, वह करते गए। उन्हें अपनी मेहनत पर विश्वास था। एक दिन वह भी आया जब उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर स्टैंडर्ड आयल कंपनी की स्थापना 1870 में की। इसके बाद तो जान डी राकफेलर की किस्मत ही बदल गई। सन 1911 में उनके पास नौ सौ बिलियन डॉलर की संपत्ति हो गई थी जो अमेरिका की जीडीपी की दो गुना थी। वह अपनी संपत्ति का उपयोग जनकल्याण में करने से कभी पीछे नहीं हटते थे। कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस का वर्साय राज महल काफी क्षतिग्रस्त हो गया। वर्साय राजमहल कला और शिल्प का अद्भुत नमूना था। राजमहल की मूर्तियां, दीवारें आदि पूरी तरह खराब हो गई थीं। राकफेलर कला और साहित्य के बड़े प्रेमी थे। वह कलाकारों और साहित्यकारों को बड़ा सम्मान करते थे। जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद भी करते थे। उन्होंने वर्साय राजमहल को ठीक करने का बीड़ा उठाया। पैसे की कोई परवाह भी नहीं की। एक दिन की बात है। वह वर्साय राजमहल को देखने निकले। सोचा, देख लूं कितना काम बाकी है, लेकिन जब वह वहां पहुंचे, तब तक छह बज चुके थे और मुख्य द्वार बंद हो चुका था। द्वार को बंद देखकर वह लौट गए। जब यह बात मित्रों को पता चली तो उन्होंने कहा कि आप अपना परिचय देता, द्वार खुल जाता। राकफेलर ने कहा कि नियम तोड़ना उचित नहीं था।

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