नकल की प्रवृत्ति मनुष्यों से सहित कई प्रजातियों में पाई जाती है। किसी की नकल करना, उसके जैसा दिखने की कोशिश करना, एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन जब यह प्रवृत्ति परीक्षाओं में पाई जाती है, तो वह अपराध हो जाती है। वैसे तो परीक्षाओं में नकल तब से होता आया है, जब से परीक्षा का वर्तमान स्वरूप शुरू हुआ है। आज से दो-तीन दशक पहले दो तरह के विद्यार्थी पाए जाते थे। एक वे जो मन लगाकर पढ़ाई करते थे और दूसरी तरह के वे छात्र होते थे, जो क्लास में पढ़ाई करने की जगह घूमते रहते थे और परीक्षा के दौरान कापी किताबें लेकर परीक्षा स्थल जाते थे। साल भर कापी किताबों से दूर रहने वाले परीक्षार्थी मौका मिलने पर नकल करते थे। लेकिन जैसे-जैसे व्यावसायिक परीक्षाओं का दौर चला, नकल के तरीके बदलते गए।
इंजीनियरिंग, सीए, मेडिकल और कंपनी सेक्रेटरी जैसे पदों पर होने वाली नियुक्तियों के लिए परीक्षार्थी कुछ विशेष प्रयास करने लगे। दसवीं, बारहवीं और अन्य स्नातक परीक्षाओं के लिए पर्चे आउट करने, बाहर से नकल पहुंचाने जैसे प्रयास किए जाने लगे। कुछ कोचिंग संस्थानों ने सेटिंग करके अपने यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए पर्चे आउट करने की सुविधा हासिल कर ली। फिर शुरू हुआ नकल माफिया का दौर। कुछ लोगों ने इसे एक व्यवसाय की तरह स्थापित किया और पैसा लेकर दावे के साथ नकल कराने और परीक्षार्थी को पास कराने की गारंटी देने लगे।
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कई बार तो ऐसी भी खबरें आईं कि पांच-छह लाख रुपये में विभिन्न नौकरियों और प्रतियोगी परीक्षाओं के पर्चे आउट किए गए। जिस तरह की नौकरी और पाठ्यक्रम उसी हिसाब से पैसे लेकर नकल कराने या पास कराने का व्यवसाय आज पूरे देश में फल-फूल रहा है। इसी नकल माफिया पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार नया कानून लाने जा रही है। इस मामले को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी उठा चुकी हैं। संसद में जो नया विधेयक पेश किया जाने वाला है, उसमें परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों को दस साल की सजा और एक करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्राविधान किया जा सकता है। यह प्रावधान जेईई, नीट और सीयूईटी सहित सभी तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं पर लागू होगा।
इस प्रावधान के दायरे में सभी राज्य होंगे और इस कानून को स्थानीय स्तर पर भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं पर भी लागू कर सकते हैं। भर्ती और प्रवेश से जुड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में भारी भीड़ के चलते कई बार निगरानी करने में दिक्कत होती है। इसी का फायदा नकल माफिया उठाते हैं। वे आधुनिक यंत्रों का उपयोग करके परीक्षा को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। अधिकतर वे सफल भी हो जाते हैं। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बाकायदा नकल कराने के लिए ठेके लेते हैं कुछ नकल माफिया। इन्हीं स्थितियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार नकल माफियाओं पर नकेल कसने का प्रयास कर रही है।
-संजय मग्गू
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