Thursday, December 26, 2024
16.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiबच्चों को मजदूरी नहीं, शिक्षा की जरूरत है

बच्चों को मजदूरी नहीं, शिक्षा की जरूरत है

Google News
Google News

- Advertisement -

बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है किसी भी देश के बच्चे अगर शिक्षित और स्वस्थ होंगे तो वह देश उन्नति और प्रगति करेगा लेकिन अगर किसी समाज में बच्चे बचपन से ही किताबों को छोड़कर मजदूरी का काम करने लगें तो देश और समाज को आत्मचिंतन करने की जरूरत है उसे इस सवाल का जवाब ढूंढने की जरूरत है कि आखिर बच्चे को कलम छोड़ कर मजदूर क्यों बनना पड़ा? जब बच्चे से उसका बचपन, खेलकूद और शिक्षा का अधिकार छीनकर उसे मजदूरी की भट्टी में झोंक दिया जाता है, उसे शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित कर उसके बचपन को श्रमिक के रूप में बदल दिया जाता है

तो यह बाल श्रम कहलाता है हालांकि पूरी दुनिया के साथ साथ भारत में भी बाल श्रम पूर्ण रूप से गैरकानूनी घोषित है संविधान के 24वें अनुच्छेद के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखानों, होटलों, ढाबों या घरेलू नौकर इत्यादि के रूप में कार्य करवाना बाल श्रम के अंतर्गत आता है अगर कोई ऐसा करते पाया जाता है तो उसके लिए उचित दंड का प्रावधान है लेकिन इसके बावजूद समाज से इस प्रकार का शोषण समाप्त नहीं हुआ है

प्रश्न यह उठता है कि आखिरकार बाल श्रम का यह सिलसिला कब रुकेगा? आंकड़े अभी भी इस बात की गवाही देते हैं कि भारत में बाल श्रम जैसी समस्या अभी बरकरार है अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के अनुसार 2020 की शुरुआत में पांच वर्ष और उससे अधिक आयु के 10 में से एक बच्चा बाल श्रमिक रूप में शामिल था अनुमानित 160 मिलियन बच्चे बालश्रम के शिकार थे वहीं वैश्विक स्तर पर पिछले दो दशकों में अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम और यूनिसेफ 2021 की रिपोर्ट के अनुसार बाल श्रम को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है

बाल श्रम के बच्चों की संख्या 2000 और 2020 के बीच 16 प्रतिशत से घटकर 9.6 प्रतिशत हो गई है वहीं अगर भारत की बात करें, तो 2011 की जनसंख्या के अनुसार भारत में पांच से 14 वर्ष की आयु वर्ग के 10.1 मिलियन बच्चे मजदूरी में कार्यरत हैं मौजूदा समय के आंकड़े पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं परंतु एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाल श्रम के आंकड़े बताते हैं कि प्राथमिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने वाले राज्यों में स्थितियों में सुधार हो रहा है। हालांकि कोरोना महामारी के बाद इसमें थोड़ा ब्रेक लगा है जिसके बाद कई बच्चे मजबूरी में बाल श्रम बनने को मजबूर हो गए हैं।

ऐसा ही एक उदाहरण जम्मू-कश्मीर के जिला कठुआ के रहने वाले अमित मेहरा का है। अमित का कहना है कि मैं अभी बिल्कुल बाल्यावस्था में था कि पिता का देहांत हो गया था। वह एकमात्र कमाने वाले थे घर में मां के अलावा तीन बहनें हैं उस समय मेरी उम्र केवल 13 वर्ष थी।

हमारे समाज में लड़कियों का काम करना अच्छा नहीं समझा जाता है इसलिए मैंने कमाना शुरू कर दिया मैं पढ़ाई में अच्छा था, परंतु जिम्मेदारी बढ़ जाने के कारण में दसवीं के आगे नहीं पढ़ पाया अमित बताते हैं कि बाल अवस्था में घर से बाहर जाकर पैसे कमाना कितना कठिन है, यह दर्द मैं जानता हूं बेशक बालश्रम बहुत ही गलत चीज है परंतु कुछ अवस्थाओं में मजबूरी इतनी बढ़ जाती है कि इंसान को घुटने टेकने पड़ते हैं परंतु जिनके माता-पिता हैं और वह अपने बच्चों से काम करवाते हैं बहुत ही दुखद बात है वह कहते हैं कि आज भी मैं यह देखता हूं कि छोटे-छोटे बच्चे या तो भीख मांग रहे होते हैं या इतनी गर्मी में दुकानों में या रोड पर सामान बेच रहे होते हैं मैं सरकार से यह अपील करता हूं कि ऐसे बच्चों के लिए जो किसी कारणवश बाल श्रम करने को मजबूर हैं उनकी बेहतरी के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है।

इस संबंध में जम्मू कश्मीर समाज कल्याण विभाग के मिशन वात्सल्य की संरक्षण अधिकारी आरती चौधरी का कहना है कि विभाग इस संबंध में सक्रिय भूमिका निभा रहा है कुछ माता पिता स्वयं मजदूरी की जगह अपने बच्चों से भीख मंगवाने का काम करते हैं पिछले कुछ दिनों में समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने जम्मू के मशहूर विक्रम चौक, गांधीनगर व अन्य भीड़भाड़ वाले इलाकों से ऐसे बच्चों को रेस्क्यू किया है उन्हें बाल देखभाल संस्थानों में भर्ती कराया गया है, जहां पर उन्हें उचित पोषण, परामर्श और चिकित्सक देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है

हरीश कुमार

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

BIHAR RAILWAY:भारतीय रेलवे की सौर ऊर्जा पहल, बिहार से शुरू होगी

भारतीय रेलवे भविष्य(BIHAR RAILWAY:) में ट्रेनों को सौर ऊर्जा से संचालित करने की योजना पर काम कर रहा है, और इसकी शुरुआत बिहार से...

palwal news:नए साल पर पलवल शहर में लगेंगी 6,000 से अधिक स्ट्रीट लाइटें

नगर परिषद पलवल (palwal news:)ने शहर में रात के समय सुरक्षा और उजाले को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। परिषद की...

up school:टोपी पहनकर स्कूल आने पर बच्चे को पीटने पर मुकदमा दर्ज

बलिया के चितबड़ागांव (up school:)थाना क्षेत्र में एक कान्वेंट स्कूल में छठी कक्षा के एक छात्र को टोपी पहनकर स्कूल आने पर पीटने के...

Recent Comments