दावे के अनुरूप भीड़ भले ही नहीं जुट सकी, बावजूद इसके रामलीला मैदान में आम आदमी पार्टी ने देश और दिल्ली को लेकर अपने पत्ते खोल दिए हैं। मालूम हो कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चार राज्यों मसलन, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में, आम आदमी पार्टी ने भविष्य की राजनीति के प्रति अपने इरादे जगजाहिर कर दिए हैं। केंद्र की सत्ता से भारतीय जनता पार्टी को उखाड़ फेंकने का उसका आह्वान यह बताने के लिए काफी है कि आम आदमी पार्टी समेत दीगर विपक्षी दलों के मन में क्या कुछ चल रहा है।
रामलीला मैदान के मंच से ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, सियासी दिग्गज एवं देश के जाने-माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह आदि ने जिस तरह से केंद्र सरकार की बखिया उधेड़ी, इसका अंदाजा किसी को सपने में भी नहीं रहा होगा।
देश में लोकतंत्र पर खतरा मंडराने की आशंका जाहिर करते हुए वक्ताओं ने गैर भाजपाई सियासी दलों के बीच जिस आपसी एकता पर विशेष जोर दिया, वह विपक्ष की उस मोर्चेबंदी को ताकत देने के लिए काफी है, जिसकी कवायद में जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले एक साल से जी-जान से जुटे हैं और देश भर में घूम-घूम कर समर्थन जुटा रहे हैं।
दरअसल, आलोचना अथवा निंदा का माहौल तब पैदा होता है, जब जिम्मेदार लोग गलतियां करते हैं और फिर उन्हें स्वीकार करने के बजाय लगातार गलतियां दर गलतियां करते चले जाते हैं, सिर्फ यह साबित करने के लिए कि उनसे ज्यादा कोई समझदार नहीं है, उनसे बेहतर कोई सोच नहीं सकता। महारैली के मंच से अरविंद केजरीवाल ने अगर ‘चौथी पास राजा’ की कहानी उपस्थित जनसमूह को सुनाई, तो यह कोई हंसी-ठट्ठे का विषय नहीं है और न वह माहौल को हल्का बनाने की कोशिश में थे। बल्कि, यह किसी शख्सियत की क्षमता को सरेआम चुनौती दी जा रही थी। महारैली की कोख से निकला संदेश यह साफ इशारा कर रहा है कि राष्ट्रीय राजधानी का सियासी संग्राम महाविकट होने वाला है।