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मंत्री की बर्खास्तगी, फिर पायलट पर भारी पड़े गहलोत

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आखिरकार सचिन पायलट को उनके वास्तविक स्थान पर पहुंचाकर ही दम लिया। पिछले दिनों कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर गहलोत से समझौता करने वाले सचिन पायलट इस समय न केवल खाली हाथ हैं, बल्कि उन्होंने पिछले दो ढाई साल में जो अपनी छवि गढ़ी थी, उस पर भी बट्टा लगा दिया है। सचिन पायलट के कट्टर समर्थक राजेंद्र गूढ़ा को एक झटके में बर्खास्त करके गहलोत ने बता दिया कि न तो सरकार में बगावती तेवर और अनुशासनहीनताक बर्दाश्त की जाएगी, न ही प्रदेश कांग्रेस संगठन में। पूरा देश इन दिनों मणिपुर की घटनाओं को लेकर उद्वेलित है। कांग्रेस इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश में है, उसी दौरान अगर कोई कांग्रेसी नेता ही पार्टी को हिट विकेट करने पर तुल जाए, तो पार्टी के पास उसे निकालने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचता है।

राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को मणिपुर में हुई महिलाओं के साथ दरिदंगी की बात करते हुए राजस्थान के होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा मंत्री राजेंद्र गूढ़ा ने कहा कि हमें अपने गिरबां में झाकने की जरूरत है। बता दें कि राजस्थान के जोधपुर में भी एक ही परिवार के चार लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। बस फिर क्या था? राजस्थान भाजपा को बैठे बिठाए कांग्रेस सरकार को घेरने का मुद्दा मिल गया। मणिपुर की घटनाओं को लेकर अपनी इज्जत बचाने की कोशिश कर रही भाजपा जोधपुर हत्याकांड को लेकर आक्रामक हो गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी तत्काल कार्रवाई की और राजेंद्र गूढ़ा को बर्खास्त कर दिया।

यह वही राजेंद्र गूढ़ा हैं जिन्होंने 17 अप्रैल 2023 को कहा कि मां का दूध पिया है तो सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई करके बताएं। राजेंद्र गूढ़ा को बर्खास्त करके गहलोत ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तो बार-बार विवादित बयान देने वाले राजेंद्र गूढ़ा को मंत्रिमंडल से हटाकर होने वाली फजीहत से निजात पा ली है। वहीं सचिन पायलट के सबसे कट्टर समर्थक गूढ़ा को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखाकर यह जता दिया है कि अब अनुशासन हीनता कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

एक बार हथियार रख देने के बाद सचिन पायलट की वह छवि भी नहीं रह गई है। राजेंद्र गूढ़ा तो कई बार खुद सचिन पायलट के लिए भी मुसीबत का कारण बनते रहे हैं। 11 जुलाई 2023 को अपनी तुलना मां सीता के गुणों से करते हुए राजेंद्र गुढ़ा ने आगे कहा था कि आज मेरे गुणों के कारण ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट मेरे पीछे भाग रहे हैं। राजेंद्र गूढ़ा का यह अहंकार ही उन्हें ले डूबा।

सरकार के विरोध में आए दिन बयान देने वालों को भी एक संकेत दे दिया गया है कि वे अनुशासन में रहें। गहलोत से समझौता के बाद लग रहा था कि पायलट को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया जाएगा, लेकिन उन्हें इस समिति में तीसरे-चौथे नंबर पर लाकर पर कतर दिए गए। अब पायलट को न उगलते बन रहा है, न निगलते। उधर गहलोत ने अपनी ताकत भी दिखा दी है। ऐसी हालत में यदि पायलट बगावत करते हैं, तो उनके हाथ कुछ नहीं लगने वाला है। कांग्रेस में ही चुपचाप बने रहने के अलावा कोई विकल्प भी तो नहीं बचा है।

संजय मग्गू

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