दो सप्ताह पहले दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और मुख्यमंत्री की मौजूदगी में यमुना नदी का फालतू पानी राजस्थान को देने के समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। हरियाणा विधानसभा सत्र के दौरान इस मुद्दे को लेकर विपक्ष मनोहर सरकार पर हमलावर रहा। सत्र के आखिरी दिन तक इस मुद्दे को लेकर चर्चा होती रही। कांग्रेस विधायकों ने तो इस मुद्दे पर दो बार सदन से वॉकआउट तक किया। कांग्रेस सदस्यों ने हरियाणा और राजस्थान के बीच यमुना नदी के जल को लेकर हुए समझौते को किसान विरोधी बताते हुए जोरदार हमला बोला। इस मामले में सरकार का रवैया हालांकि रक्षात्मक ही रहा।
उसका यही कहना है कि सरकार ने प्रदेश के किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं किया है। बरसात के दिनों में जो अतिरिक्त पानी होगा, वह राजस्थान को दिया जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने यमुना कैनाल की क्षमता बढ़ाकर 24 हजार क्यूसेक कर दी है। ऐसी हालत में हथनी कुंड बैराज और यमुना कैनाल का अतिरिक्त पानी ही राजस्थान जाएगा। विपक्ष का मानना है कि दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार है, इसलिए मनोहर लाल अपने प्रदेश के किसानों का हक मारकर राजस्थान को दे रहे हैं। यह बात ही है कि हरियाणा के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है। हरियाणा के कई जिलों में भूगर्भ जल का स्तर काफी नीचे चला गया है।
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कई दशकों से हो रहे पानी के अपव्यय का नतीजा है कि कुछ इलाकों में लोग पीने के पानी के लिए भी तरस रहे हैं। पिछले साल 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रदेश के कुल 7287 गांवों में से 3041 पानी की कमी से जूझ रहे हैं यानी करीब 42 फीसदी गांवों के लोगों ने पानी के संकट का सामना करना शुरू कर दिया है। प्रदेश के 1948 गांव तो ऐसे हैं जो गंभीर जल संकट को झेल रहे हैं। इसकी वजह से सबसे बड़ी चुनौती खेती में आने वाली है क्योंकि भारत में करीब 90 प्रतिशत भूगर्भ जल का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में होता है, इसलिए इस समस्या का समाधान भी किसानों के जरिए ही करने का प्रयास किया जा रहा है।
सरकार की प्रेरणा के चलते हरियाणा में पिछले दो सालों में किसानों ने एक लाख 73 हजार करोड़ लीटर पानी की बचत की है। हालांकि प्रदेश सरकार ने पानी बचाने का लक्ष्य दो लाख 60 हजार करोड़ लीटर था, लेकिन लोगों के सार्थक प्रयास के चलते कुल ढाई लाख करोड़ लीटर पानी बचाया गया है। इसके बावजूद यदि बरसात के दिनों में अतिरिक्त पानी का अपने प्रदेश में ही संचय करने की व्यवस्था कर दी जाए, तो दक्षिण हरियाणा सहित अन्य हिस्से के किसानों को जरूरत का पानी मुहैया कराया जा सके।
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