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किसान, जवान और रोजगार का मुद्दा तय करेगा चुनाव परिणाम

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संजय मग्गू
अग्निवीर, किसान आंदोलन, महिला पहलवानों का यौन शोषण, बेरोजगारी, ये ऐसे मुद्दे हैं जो हरियाणा विधानसभा चुनावों में बहुत मायने रखते हैं। सभी राजनीतिक दल अपने चुनाव प्रचार में इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। अग्निवीर मुद्दे को लेकर जहां कांग्रेस युवाओं को लुभाने की कोशिश में है, वहीं भाजपा ने अपने घोषणापत्र में ‘हर अग्निवीर को देंगे नौकरी’ जैसी बातों से मनाने की फेर में है। कल रेवाड़ी, लाडवा और बराड़ा की रैलियों में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी दावा किया कि हर अग्निवीर को पेंशन वाली नौकरी देंगे। हरियाणा में दो करोड़ से अधिक मतदाता हैं। इनमें से 46 प्रतिशत मतदाता ऐसे हैं जो 18 से 39 वर्ष की आयु के बीच हैं। इनकी संख्या लगभग 94 लाख के आसपास बैठती है। इतनी बड़ी संख्या वाले मतदाताओं को हर कोई साधना चाहता है। भाजपा-कांग्रेस ही नहीं, इनेलो-बसपा, जजपा-आसपा सहित अन्य दल भी इन्हें अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। कांग्रेस प्रदेश की बेरोजगारी को मुद्दा बनाने में लगी हुई है, तो भाजपा रोजगार की बात कह रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो अपनी सरकार बनते ही दो लाख युवाओं की भर्ती की बात कही है। उन्होंने इन भर्तियों में किसी तरह के भेदभाव न करने की भी बात कही है। वहीं, भाजपा का दावा है कि मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद प्रदेश की 24 हजार भर्तियों के कागज पर दस्तखत करेेंगे। बाकी फाइलें बाद में देखी जाएगी। वह कांग्रेस शासन काल में हुई भर्तियों में किए गए भ्रष्टाचार को भी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है। भाजपा के सामने सबसे बड़ा संकट है, तो सत्ता विरोेधी लहर और किसान आंदोलन की वजह से नाराज किसान। यही वजह है कि मुख्यमंत्री के पद पर जब से नायब सिंह सैनी विराजमान हुए हैं, वह किसानों को अपने पक्ष में करने के लिए वह सब कुछ कर रहे हैं जिससे किसानों की नाराजगी भाजपा के प्रति कम हो सके। 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने का ऐलान भी किसानों को मनाने के क्रम का एक हिस्सा है। कुछ हद तक किसानों की नाराजगी दूर हो ही रही थी कि मंडी सांसद कंगना रनौत के बयान ने किसानों को एक बार फिर उसी मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया जिस पर वे एक साल पहले खड़े थे। किसान संगठनों ने एक बार फिर हुंकार भरने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस ने भी कंगना के बयान को लेकर भाजपा पर हमला करना शुरू कर दिया है। हालांकि किसानों और तीनों कृषि कानूनों के संदर्भ में दिए गए बयान को लेकर कंगना ने माफी मांग ली है, लेकिन तीर कमान से निकल चुका है। वह भी चुनाव के दौरान। अब इस चुनावी शतरंज में किसको शह मिलती है, किसको मात, इसका फैसला तो आठ अक्टूबर को होगा, लेकिन सभी राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत से मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं।

संजय मग्गू

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