देश रोज़ाना: जब कभी स्थानीय मार्गों, राष्ट्रीय मार्गों या राजमार्गों पर गड्ढों की या उनके क्षतिग्रस्त होने की बात होती थी तो पहला नाम बिहार की सड़कों का आता था। पिछले एक दशक से बिहार ने खराब व गड्ढेदार सड़कों का कलंक अपने माथे से लगभग मिटा दिया है। हालाँकि बिहार में भी मुख्य मार्गों से अलग हटकर शहरी या देहाती क्षेत्रों में अभी तमाम गड्ढेदार सड़कें मिल जाएंगी। निश्चित रूप से बिहार, सड़क बिजली व पानी जैसी जिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव का कलंक दशकों से ढोता आ रहा था उससे अब यह राज्य उबर चुका है।
बात जब भी खराब सड़कों की होती है, तो इसकी जिम्मेदारी सबसे पहले भ्रष्ट व्यवस्था को दी जाती है। यह आरोप पूर्णत: सच भी है कि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी अधिकांश योजनाएं व इसके अंतर्गत होने वाले कोई भी निर्माण समय पूर्व ही क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यहाँ तक कि कई निर्माण तो पूरा होने के पहले ही क्षतिग्रस्त होने लग जाते हैं। सड़क, गलियां, नाले, नालियां, बांध, सरकारी इमारतों के निर्माण कार्य, पार्क, भूमिगत मार्ग, तालाब आदि सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने वाली योजनाओं की श्रेणी में आते हैं। यहाँ तक कि रेलवे में निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार देखा जा सकता है।
अब हद तो यह है कि राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने वाला देश का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल गोवा भी पिछले कई महीनों से भ्रष्टाचार से डूबे महामार्ग का कलंक झेल रहा है। पिछले दिनों मुझे राष्ट्रीय मार्ग से मुंबई से गोवा जाने का अवसर मिला। विश्वास कीजिए कि अपने लगभग चार दशकों के बिहार आवागमन के दौरान भी कभी ऐसी कष्टदायक सड़क बिहार में भी नहीं देखी जो पिछले दिनों मुंबई से गोवा जाते समय में देखनी पड़ी। प्रात: लगभग 9 बजे मुंबई के पनवेल से शुरू हुआ कार का सफर रात 12.30 पर गोवा पहुँच कर समाप्त हुआ। रास्ते में सड़कों के गड्ढों के कारण जो असुविधा व कष्ट उठाना पड़ा वह अलग। पिछले दिनों मुंबई से गोवा महामार्ग के गड्ढे भरे जाने की मांग को लेकर मुंबई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी।
याचिका में कहा गया था कि बारिश के मौसम के दौरान हर वर्ष इस राष्ट्रीय मार्ग में गड्ढे हो जाते हैं। इसके कारण वाहन चालकों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। इसी मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवे अथारिटी और राज्य सरकार को यह निर्देश दिया था कि वह स्पष्ट तौर पर एक तारीख बताए कि कब तक मुंबई-गोवा महामार्ग के गड्ढे भरे जाएंगे। इसके बाद जब इस मामले की अगली सुनवाई हुई, तो सरकारी वकील ने हलफनामा दायर कर कहा कि पांच सितंबर तक सड़कों के गड्डों को भर दिया जाएगा। स्वयं नेशनल हाईवे अथारिटी ने भी हलफनामा दायर कर मुंबई हाईकोर्ट की बेंच को पांच सितंबर तक गड्ढे भरे जाने का आश्वासन दिया।
अफसोस की बात यह कि मैंने जब 1 अक्टूबर को इस महामार्ग से गोवा की यात्रा की, उस समय भी गड्ढों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही थी। गोया उच्च न्यायालय के निर्देश और सरकारी हलफनामे दोनों की अनदेखी की गई? यहां तक कि पूरे महामार्ग में इस बात के भी कोई संकेत नजर नहीं आ रहे थे कि इसकी मरम्मत का काम शुरू होने वाला है। इस मार्ग पर इन्हीं गड्ढों के कारण न जाने कितनी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। कई लोगों की जान तक जा चुकी है। अनेक कारें, ट्रक व बस पलट चुकी हैं। हद तो यह है कि इसी दौरान पनवेल से गोवा की ओर जाने वाली एक बस में महाड के पास वडकल में एक आठ माह की गर्भवती महिला को उन्हीं गड्ढों के झटकों के कारण प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी और महिला यात्रियों की मदद से रास्ते में ही उसके बच्चे का जन्म समय पूर्व हो गया। इस समय महाराष्ट्र व गोवा दोनों ही जगह तथाकथित ‘डबल इंजन’ वाली गठबंधन
रकारें है। महाराष्ट्र से ही सम्बन्ध रखने वाले नितिन गडकरी देश में सड़कों के जाल फैलाने के लिए सुविख्यात हैं। संभवत: गडकरी केंद्र सरकार के अकेले ऐसे मंत्री हैं जिनके काम व योजनाओं की लोग खुलकर तारीफ करते हैं। उनकी ईमानदारी को लेकर भी उनकी प्रशंसा की जाती है। (यह लेखिका के निजी विचार हैं।)
– निरमल रानी