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हार के बाद भी कांग्रेसियों ने नहीं सीखा एकता का सबक

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संजय मग्गू
हरियाणा चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस का संकट कम होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा संकट पार्टी नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी है। आंतरिक कलह और सीएम बनने की होड़ में कांग्रेस जीती हुई बाजी हार गई। यदि कांग्रेस नेता अपने स्वार्थ को दरकिनार करके चुनाव लड़े होते तो शायद आज प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर दूसरी होती। अपनी ही गलतियों की वजह से हार चुके कांग्रेसी अपनी हरकतों से अब भी बाज नहीं आ रहे हैं। हाईकमान की नाराजगी के चलते ऊपर से भले ही सब कुछ शांत नजर आ रहा हो, लेकिन भीतर-भीतर अब भी दोनों-तीनों गुट आपस में गुत्थमगुत्था हैं। प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को लेकर अब कांग्रेस में जोर आजमाइश शुरू हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान की विदाई लगभग तय मानी जा रही है। इस पद पर किसको बिठाया जाए, इसके लिए मंथन चल रहा है। राजनीतिक हलके में जो चर्चा है, उसके मुताबिक हिसार सांसद कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात चल रही है। इससे पहले भी कुमारी शैलजा प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं। पिछले लगभग 17 सालों से दलित नेताओं को ही कांग्रेस हाईकमान प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपती चली आ रही है। 27 अगस्त 2007 को फूलचंद मुलाना को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया जो सबसे ज्यादा छह साल 167 दिनों तक अपने पद पर रहे। 14 फरवरी 1014 को तत्कालीन सांसद डॉ. अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बिठाया गया, लेकिन उनकी भूपेंद्र सिंह हुड्डा से पटी नहीं और सन 2018 में कथित रूप से उनके साथ हुई मारपीट की घटना के बाद सितंबर 2019 में जब बदलाव हुआ तो 4 सितंबर 2019 को कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बिठाया गया। इसके बाद 27 अप्रैल 2022 को तत्कालीन होडल विधायक उदयभान को प्रदेश की कमान सौंपी गई। प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर चल रही खींचतान के बीच अब नेता प्रतिपक्ष को लेकर सियासी चाल शुरू हो गई है। हाईकमान की मंशा नेता प्रतिपक्ष के पद पर पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई को प्रदेश अध्यक्ष पद पर बिठाने की है। कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि प्रदेश में संगठन खड़ा नहीं हो पाया है। पिछले दो ढाई साल प्रदेश अध्यक्ष रहे उदयभान सभी जिलों में पदाधिकारियों को नियुक्त नहीं कर सके हैं। जिला अध्यक्ष, तहसील और ब्लाक स्तर पर पार्टी संगठन न होने से भाजपा का मुकाबला कर पाना आसान नहीं है, वहीं भाजपा पन्ना प्रमुखों को नियुक्त करके चुनाव के दौरान गली-मोहल्ला स्तर तक पहुंच जाती है। जब तक संगठन नहीं होगा, तब तक किसी भी दल की लहर होने के बावजूद चुनाव जीत पाना आसान नहीं होगा। कांग्रेस आला कमान को यह बात अच्छी तरह से समझनी होगी।

संजय मग्गू

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