प्रदूषण एक विश्वव्यापी समस्या है। इसने कई देशों में अपना भयंकरतम रूप दिखाना शुरू कर दिया है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। सर्दियों में कई बार तो देश की राजधानी दिल्ली विश्व की सबसे प्रदूषित नगरी का खिताब पा चुकी है। चीन में बीजिंग आदि भी लगभग हर साल इस समस्या से दो चार होते हैं। दिल्ली के निकट बसे हरियाणा के शहर यानी एनसीआर में आने वाले शहर भी इस प्रदूषण की चपेट में आते रहते हैं। आज भी फरीदाबाद जैसे शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स दो सौ से पार है। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह समस्या कितनी विकट है। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तर भारत के प्रदेश वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं।
आलम यह है कि स्विस एजेंसी आईक्यू एयर की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2023: रीजन एंड सिटी पीएम 2.5 रैंकिंग ने खुलासा किया है कि प्रदूषण के मामले में गुरुग्राम समग्र रूप से तीसरे और दुनियाभर में 17वें स्थान पर है। फरीदाबाद में थोड़ा सा सुधार है और यह विश्व रैंकिंग में 25वें स्थान पर है। उत्तर भारत में प्रदूषण और वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत ज्यादा होने का कारण हमारी जीवन शैली और कार्यकलाप हैं। दक्षिण और पूर्वी भारत में जनसंख्या घनत्व कम होने के साथ-साथ हरियाली ज्यादा है। वहां प्रकृति संरक्षण की प्रवृत्ति के कारण वायु प्रदूषण का उतना प्रभाव नहीं है। उत्तर भारत में खेतों में पराली जलाने, वाहनों से निकलने वाला धुआं, कोयले से चलने वाली फैक्ट्रियां, कूड़े-कचरे को जलाने की प्रवृत्ति और खाना बनाने के लिए जीवाश्म का उपयोग प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है।
यह भी पढ़ें : महर्षि रमण ने बताया क्या है कर्मयोग
हरियाणा में अरावली की पहाड़ियों पर किए जा रहे अवैध उत्खनन और लगातार हरियाली कम होने के कारण प्रदूषण भयानक रूप अख्तियार करती जा रही है। प्रदेश के आसपास स्थित राज्यों में भी पेड़-पौधों की अवैध कटान की वजह से भी हमारे प्रदेश में वायु की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। प्रदेश सरकार को इस मामले में सबसे पहले तो एक लंबी योजना बनानी होगी कि कैसे वायु प्रदूषण को कम किया जाए। यह एक ऐसी समस्या है जिसका तत्काल समाधान नहीं हो सकता है। जब तक एक कार्ययोजना बनाकर लगातार काम नहीं किया जाता है।
वैसे तो जब भी वायु प्रदूषण की बात उठती है, तो सत्ताधारी नेताओं से लेकर सरकारी अधिकारी तक कुछ न कुछ योजना बनाकर रोकने की बात करते हैं, लेकिन बाद में फिर अपने काम में लग जाते हैं। जब तक सरकार और आम जनता इस मामले में संयुक्त रूप से प्रयास नहीं करेगी, तब तक इस समस्या से निजात पाना संभव नहीं है। सरकारी संस्थाओं से लेकर निजी संस्थाओं, नेताओं से लेकर आम जनता तक सबको प्रदूषण के खिलाफ जंग छेड़नी होगी।
-संजय मग्गू
लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/