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मुसीबतों का डटकर मुकाबला करो
अशोक मिश्र

मुसीबत जिंदगी में हर किसी के सामने आती है। मुसीबतों से जो लोग घबराकर बैठ जाते हैं, वह जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते हैं। जिसने मुसीबतों का डटकर सामना किया, वही जीवन में सफल हुआ। मुसीबतों से भागने पर मुसीबतें और पीछा करती हैं। यदि उनका डटकर मुकाबला किया जाए, वह हल हो जाती हैं। इसी बात की शिक्षा स्वामी विवेकानंद को युवावस्था में मिली थी। बात तब की है जब स्वामी विवेकानंद किसी काम से बनारस आए थे। वह कहीं जा रहे थे, तो रास्ते में एक मंदिर पड़ा। उस मंदिर के आसपास बहुत सारे बंदर रहते थे और वह उस मंदिर में प्रसाद चढ़ाने और पूजा पाठ करने वालों को बहुत परेशान करते थे। बंदर एक झुंड बनाकर मंदिर जाने वाले भक्तों पर हमला करते थे और उसके हाथ से प्रसाद छीनकर खा जाते थे। स्वामी विवेकानंद को यह बात पता नहीं थी। वह उस रास्ते से गुजरे तो बंदरों ने उन्हें घेर लिया। बंदरों से डरकर स्वामी विवेकानंद भागने लगे। वह जैसे-जैसे आगे बढ़ते, बंदरों का झुंड वैसे-वैसे उनके पीछे आता। कुछ ही दूर पर खड़ा एक बुजुर्ग संन्यासी यह तमाशा देख रहा था। उसने आगे बढ़कर स्वामी विवेकानंद को रोका और कहा कि मुसीबतों से डरकर भागना नहीं चाहिए। उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए। यदि तुम पलटकर इन बंदरों की ओर बढ़ोगे, तो यह भाग जाएंगे। बुजुर्ग संन्यासी की बात सुनकर स्वामी विवेकानंद पलटे और बंदरों की ओर चलने लगे। उनको अपनी ओर आता देखकर बंदरों का झुंड घबराकर इधर-उधर भाग गया। बुजुर्ग संन्यासी को उन्होंने धन्यावाद दिया। कई वर्षों बाद स्वामी विवेकानंद ने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मुसीबतों का सामना करने से ही छुटकारा मिल सकता है।

अशोक मिश्र

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