हमारे देश में ही नहीं, दुनिया भर में नेता, कलाकार, विद्वान और गणमान्य लोग बातचीत के दौरान या किसी कार्यक्रम में बोलते समय कुछ ऐसी बात कह जाते हैं जिससे लोगों की भावना को ठेस पहुंचती है। कई बार यह बात अपशब्द के बिल्कुल करीब होती है। हमारे देश में ऐसी स्थिति अक्सर देखने को मिलती है। कई बार नेता भावनाओं में बह जाते हैं और वे कुछ ऐसा बोल जाते हैं जो उन्हें नहीं कहना चाहिए। जब विरोध होता है, तो पहले अपनी बात से मुकरने का प्रयास करते हैं। मीडिया पर तोड़ मरोड़कर पेश करने या वीडियो को एडिट करने का आरोप लगाते हैं। लेकिन जब बचाव का कोई रास्ता नहीं बचता है, तो वे यह कहकर छुटकारा पाने की कोशिश करते हैं कि अगर मेरी बात से किसी की भावना को ठेस पहुंची हो, तो मैं खेद व्यक्त करता हूं। यह एक टालू किस्म की गलती मानना है।
इस तरह की माफी मांगने वाला बस किसी तरह मामले को सुलटाना चाहता है। उसने दिल से माफी नहीं मांगी है। अगर गलती हो गई है, मुंह से कुछ ऐसा निकल गया है, तो दिल से माफी मांगना चाहिए। सामने वाले को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप उस पर एहसान कर रहे हैं या फिर आप माफी मांगने की फर्ज अदायगी कर रहे हैं। माफी मांगने के दौरान किसी तरह की शर्त लगाना उचित नहीं है। बहाना बनाना उचित नहीं है। अगर गलती हुई है, तो माफी मांगने में झिझक कैसी? संकोच कैसा? जब गलती कर रहे थे, तब झिझक और संकोच जाहिर नहीं किया। अब जब किसी भावना आहत हुई, उसे बुरा लगा और उसने मजबूर कर दिया, तो बेमन से माफी मांग रहे हैं। माफी की मांग इसलिए की जाती है ताकि जिसने गलती की है, उसे एहसास हो कि उससे कुछ गलत हो गया है। अब उसे दोबारा ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जिसने अपने जीवन में गलती न की हो।
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लोग कभी-कभी मजाक में यह बात कहते हैं कि आदमी तो गलतियों का पुतला है, सिर्फ भगवान ही गलती नहीं करते हैं। किसी से गलती न होना, कोई महान होने का लक्षण नहीं है। महानता इस बात में है कि यदि गलती हुई है, तो सच्चे मन से माफी मांग ली जाए। यदि गलती के कारण किसी को आर्थिक नुकसान पहुंचा है और आप उस नुकसान की भरपाई कर पाने में अक्षम हैं, तो भी प्रयास यह करना चाहिए कि उस नुकसान की कुछ हद तक भरपाई कर दी जाए। माफी मांगने का मतलब यही है कि सामने वाले को भावनात्मक या किसी दूसरे प्रकार से ठेस पहुंचाने या नुकसान पहुंचाने की मंशा नहीं थी, लेकिन अनजाने में ऐसा हो गया। जब ज्ञात हुआ कि गलती हो गई है, तो माफी मांग रहा हूं। जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से माफी मांगता है, तो सामने वाले को भी संतोष मिलता है कि चलो, गलती हुई तो सच्चे मन से माफी भी मांगी। माफी मांगने से किसी का कद छोटा नहीं होता है, बल्कि कद और बड़ा हो जाता है। दोनों पक्षों का मन साफ हो जाता है, संबंध बने रहते हैं।
-संजय मग्गू
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