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HomeEDITORIAL News in Hindiअत्यंत संक्रमण काल से गुजरता भारतीय मीडिया

अत्यंत संक्रमण काल से गुजरता भारतीय मीडिया

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विपक्षी गठबंधन ‘इंडयिा’ ने आखिरकार सत्ता के साम्प्रदायिक एजेंडे को हर समय अपने चैनल्स पर चलाने वाले उन 14 टीवी एंकरों की एक सूची जारी कर ही डाली। अब इनके विद्वेषपूर्ण कार्यक्रमों में ‘इण्डिया’ का कोई नुमाइंदा शामिल नहीं होगा। कई चैनल्स का बहिष्कार करने की बात भी कही गयी है। देश में यह पहली बार हुआ है जबकि 28 दलों के विपक्षी गठबंधन ने पत्रकारिता की आड़ में देश में साम्प्रदायिकता फैलाने वालों से तंग आकर इतने राजनीतिक दलों ने एक साथ अनेक चैनल्स व ऐंकर्स के साम्प्रदायिकता फैलाने के उनके रवैये के प्रति अपनी नाराजगी जताते हुए टीवी एंकर्स व चैनल्स के बहिष्कार की घोषणा की है।

गठबंधन की तरफ से साफ शब्दों में यह कहा गया है कि उसने ‘नफरत भरे’ न्यूज डिबेट चलाने वाले इन टीवी ऐंकर्स के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने का फैसला किया है। इंडिया गठबंधन का आरोप है कि पिछल नौ साल से रोज शाम पांच बचे कई चैनल्स पर नफरत का बाजार सज जाता है। हम सब वहां उस नफरत के बाजार में ग्राहक के तौर पर जाते हैं। नफरत भरे नैरेटिव को मंजूरी नहीं दी जा सकती। यह नैरेटिव देश व समाज को कमजोर कर रहा है।

जिन 14 कथित पत्रकारों की सूची जारी की गई है, उनमें दो पत्रकार तो ऐसे भी हैं जो गंभीर अपराधों के आरोप में जेल भी जा चुके हैं। हालांकि गठबंधन ने अभी केवल 14 टीवी ऐंकर्स की सूची ही जारी की है। यह पत्रकार झूठी खबरें फैलाकर, निराधार विमर्श गढ़कर केवल देश का साम्प्रदायिक सौहार्द्र ही नहीं बिगाड़ रहे बल्कि यह पत्रकारिता जैसे जिम्मेदाराना व नैतिकतपूर्ण पेशे को भी कलंकित कर रहे हैं।

इनमें ‘तिहाड़ी’ के नाम से प्रसिद्ध हो चुका एक पत्रकार पिछले ही दिनों केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा एक लाइव शो में सिर्फ इसलिए जलील किया गया क्योंकि उसने दस वर्षों में शायद पहली बार मंत्री महोदया से टमाटर की बढ़ती कीमतों के बारे में एक मामूली सा सवाल कर लिया था। मंत्री महोदया ने उसे उसकी तिहाड़ यात्रा याद दिला दी। गोया दस साल तक चरणों में पड़े रहने व दलाली करने का भी यही सिला मिला ‘तिहाड़ी’ को?

बहरहाल,यह वही ऐंकर्स व मीडिया है जो गत दस वर्षों से देश में ढूंढ ढूंढ कर ऐसे विषय छेड़ता है या उकसाता है जिससे देश का सामाजिक सौहार्द्र बिगड़े। याद कीजिये कोरोना काल में दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में मिले जमाअत के लोगों को इन्होंने ‘कोरोना जिहाद’ फैलाने वालों के नाम से प्रचारित किया था। मुंबई में कोरोना के समय जब भीड़ रेलवे स्टेशन पर इकठ्ठा हुई तो इन्हीं में से एक ऐंकर की नजर उस वीजुअल पर पड़ी जिसमें भीड़ के पीछे एक मस्जिद नजर आई। बस, फिर क्या था। ऐंकर गला फाड़ कर चीखने लगा कि इस भीड़ का मस्जिद से क्या कनेक्शन है? अभी गत 2 जून को उड़ीसा में बालासोर जिले में बहनगा बाजार रेलवे स्टेशन के निकट तीन ट्रेन्स एक साथ हादसे का शिकार हो गई। वहां भी इन्हीं टीवी ऐंकर्स ने बोलना शुरू किया कि दुर्घटनास्थल के पास एक मस्जिद है।

बाद में पता चला कि वह मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर था। इसी तरह अभी कर्नाटक में ‘तिहाड़ी’ ने साम्प्रदायिक नफरत के एजेंडे से लबरेज एक भ्रामक खबर चला दी। परन्तु इस बार उसे अपना यह साम्प्रदायिक पूर्वाग्रह भारी पड़ा। उसके विरुद्ध कर्नाटक में प्राथमिकी दर्ज हो गयी है। मामला इस समय कर्नाटक उच्च न्यायालय पहुँच चुका है। उसे जल्द ही गिरफ़्तार भी किया जा सकता है।    

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) जिसमें अधिकांश गोदी मीडिया से जुड़े संपादक स्तर के लोग ही शामिल हैं, कुछ टीवी न्यूज ऐंकर्स तथा भाजपा ने 14 टीवी ऐंकर्स के बहिष्कार के ‘इंडिया’ गठबंधन के फैसले की आलोचना की है। एनबीडीए के अध्यक्ष अविनाश पांडेय ने तो इस फैसले को मीडिया का गला घोंटने जैसा बताया है। उन्होंने कहा कि जो गठबंधन लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करता है वो इसे खत्म करता नजर आ रहा है।

एनबीडीए ने कहा है कि संगठन को इंडिया गठबंधन के इस फैसले से काफी पीड़ा हुई है और वो इसे लेकर चिंतित है। इस फैसले ने एक खतरनाक मिसाल पेश की है। हालांकि चुनिंदा पत्रकारों का बहिष्कार खुद भाजपा भी करती रही है। कई वर्षों तक भाजपा ने रवीश कुमार के रहते एनडीटीवी में अपना प्रवक्ता नहीं भेजा। अब खबर है कि एबीपी न्यूज में संदीप चौधरी के तीखे सवालों से घबराकर भाजपा ने उनके शो में भी अपना प्रवक्ता भेजना बंद कर दिया है।

तनवीर जाफरी

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