राजा राम मोहन राय (Raja Ram Mohan Roy) बंगाल के महान समाज सुधारक थे। वह बहुविवाह की प्रथा के सख्त विरोधी थे। बंगाल और अन्य कई राज्यों में उन दिनों बाल विवाह की प्रथा थी। राजा राम मोहन राय ने इसका सख्त विरोध किया। वह विधवा विवाह के लिए युवाओं को प्रेरित करते रहते थे। उनका मानना था कि विधवाओं को दोबारा विवाह करने का हक मिलना चाहिए। वह रंगभेद के भी विरोधी थे। उनका कहना था कि प्रकृति ने इंसानों को सिर्फ दो ही रंग दिए हैं-गोरा और काला। व्यक्ति अपनी मर्जी से गोरा या काला रंग चुनता नहीं है।
राजा राम मोहन राय (Raja Ram Mohan Roy) के रंग भेद विरोधी आंदोलन में नंद किशोर बोस नामक युवक शामिल था। जब उसकी शादी तय हुई तो उसे गोरी लड़की को दिखाया गया, लेकिन शादी एक सांवली लड़की से करा दी गई। अपने साथ हुए इस धोखेबाजी से नंद किशोर बोस तिलमिला गया। वह अपने ससुर को मजा चखाने के लिए दूसरी शादी करना चाहता था। इस संदर्भ में उसने सोचा कि राजा राम मोहन राय (Raja Ram Mohan Roy) से सलाह मशविरा कर लिया जाए। एक बार वह इस बारे में बात करने के लिए राजा राम मोहन राय के घर गया और उसने अपने साथ हुई घटना के बारे में बताते हुए ससुर को मजा चखाने की बात कही।
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इस पर राजा राम मोहन राय (Raja Ram Mohan Roy) ने बोस से पूछा कि यह बताओ, तुम्हारी पत्नी में सिर्फ सांवलापन के अलावा कोई और कमी है क्या? युवक बोस ने कहा कि नहीं, बल्कि वह मेरा और मेरे परिवार का पूरा ख्याल रखती है। सबके साथ अच्छा व्यवहार करती है। उसके गुणों की प्रशंसा तो हमारे परिवार वाले भी करते हैं। तब राजा राम मोहन राय (Raja Ram Mohan Roy) ने कहा कि ससुर के कर्मों की सजा उसकी बेटी को क्यों देना चाहते हैं। जब वह इतनी अच्छी है तो फिर दूसरा विवाह करने का विचार त्यागकर उसके साथ रहो। युवक को बात समझ में आ गई।
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