एशिया के नक्शे पर मालदीव छोटी-छोटी बिंदियों की तरह नजर आता है। मालदीव बहुत छोटा देश है। नवीनतम संयुक्त राष्ट्र डेटा 1 के वर्ल्डोमीटर के आधार पर मालदीव की 8 मार्च, 2024 को कुल आबादी 518,851 है। पांच लाख की आबादी वाले देश मालदीव ने दो शक्तिशाली देशों भारत और चीन के बीच फंसने का जोखिम उठा लिया है। भारत और चीन दोनों के लिए मालदीव की बहुत उपयोगिता है। मालदीव की तमाम नखरेबाजी, अहंकारी व्यवहार और भारत विरोधी बयानबाजी के बावजूद भारत किसी न किसी रूप में मालदीव से जुड़ा रहना चाहेगा, यह सही है, लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं है कि वह इस क्षेत्र में मालदीव के जरिये चीन का प्रभुत्व स्वीकार कर लेगा।
कल यानी दस मार्च को मालदीव से भारतीय सैनिकों की पहली खेप वापस लौटेगी। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने घोषणा की है कि 10 मई के बाद देश में कोई भी भारतीय सैनिक नहीं होगा, न तो वर्दी में और न ही सादे कपड़ों में। मैं यह बात विश्वास के साथ कहता हूँ कि भारतीय सेना इस देश में किसी भी तरह से नहीं होगी। अतीत में भारत ने मालदीव की बहुत मदद की है। इस बात को मालदीव की जनता बहुत अच्छी तरह से जानती है। मालदीव से भारत के रिश्ते काफी पुराने हैं। मालदीव दवाओं, खाने पीने की वस्तुओं और भवन निर्माण से लेकर दूसरे तरह के उत्पादों के लिए भारत पर ही निर्भर रहा है। जिन 80 भारतीय सैनिकों की वापसी की जिद पर मालदीव अड़ा हुआ है, वहां मौजूद हेलिकाप्टर्स और छोटे एयरक्राफ्ट की देखभाल के लिए सैनिक भेजे गए थे। ये हेलिकाप्टर्स और एयरक्राफ्ट भी भारत ने ही दिए हैं।
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भारत और अमेरिका मिलकर अब तक मालदीव की सेना को ट्रेनिंग देते रहे हैं। लेकिन जब से मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति बने हैं, उनका झुकाव चीन की ओर हो गया है। अब शायद मालदीव की सेना को चीन ट्रेनिंग देगा। चीन ने कुछ सैन्य हथियार भी मुफ्त में मुहैया कराने का वायदा किया है। मुइज्जू के रुख बदलने के बाद से ही भारतीय नौसेना ने लक्षद्वीप पर अपना ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। बीते दिनों लक्षद्वीप में नौसेना ने नए नेवल बेस की शुरुआत की है। इस नेवल बेस का नाम आईएनएस जटायू है। इसे लक्षद्वीप के मिनिकॉय आईलैंड में तैनात किया गया है। जटायू की कोशिशें होंगी कि एंटी पायरेसी और एंटी नारकोटिक्स पर काबू पाया जा सके।
लक्षद्वीप पर नेवल बेस बनाकर भारत हिंद महासागर में नजर रख सकता है। भारत ने इसके जरिए मालदीव को संदेश देने की कोशिश की है। भारत इस बात की भी कोशिश कर रहा है कि यदि निकट भविष्य में चीन का हस्तक्षेप मालदीव के सहारे हिंद महासागर में बढ़ता है, तो वह लक्षद्वीप में अपनी नौसेना के सहारे चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। इसमें नुकसान मालदीव को होगा क्योंकि चीन भी इस छोटे से देश के लिए भारत से भिड़ने का साहस नहीं करेगा।
–संजय मग्गू
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