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किसान संगठनों से निपटने को पूरी तरह तैयार मनोहर सरकार

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इन दिनों हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारें बहुत बड़े तनाव के दौर से गुजर रही हैं। 13 फरवरी को किसान संगठनों की प्रस्तावित दिल्ली कूच ने इन प्रदेशों की सरकारों की नींद उड़ा रखी है। किसान संगठन हैं कि अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल दो दिन के दिल्ली दौरे पर होने के बावजूद किसान संगठनों की गतिविधियों पर निगाह रखे हुए हैं। उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री से मिलकर यहां के हालात के बारे में पूरी जानकारी भी दी है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान दो-तीन दिन पहले ही चंडीगढ़ में किसान संगठनों के नेताओं की केंद्रीय मंत्रियों से वार्ता करवा चुके हैं। मान ने बातचीत की मध्यस्थता की थी।

उनका तो यहां तक कहना है कि यदि जरूरत हुई, तो वह एक बार फिर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच वार्ता करवाने के लिए तैयार हैं। पंजाब और हरियाणा सरकार ने किसानों को दिल्ली तक नहीं पहुंचने देने के लिए कई तरह के उपाय किए हैं। दिल्ली को जोड़ने वाले रास्तों पर कील-कांटे बिछाए गए हैं, कंटीले तारों की बाड़ खड़ी की गई है। सड़कों पर गड्ढे खोदे गए हैं ताकि किसान और उनके ट्रैक्टर आगे न बढ़ सकें। प्रदेश में डेढ़ सौ से अधिक जगहों पर नाके लगा दिए गए हैं। मनोहर सरकार ने सभी पुलिस कर्मियों की छुट्टियां स्थगित कर दी हैं। केंद्र सरकार ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि में अर्ध सैनिक बलों की टुकड़ियों को तैनात कर दिया है।

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हरियाणा में तो सात जिलों में इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है। भारी संख्या में भेजे जाने वाले संदेशों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ताकि किसी भी तरह के गलत संदेश, चित्र या सामग्री का आदान-प्रदान न हो सके। सरकार ने लोगों से अपील भी की है कि वे अफवाह फैलाने से बचें। यदि किसी ने अफवाह फैलाने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं किसानों ने घोषणा की है कि अगर उनके साथ धक्केशाही की गई, तो वे टोल, ट्रेन, सड़कों को पूरी तरह जाम कर देंगे। वे हर उस कदम को उठाएंगे जिससे सरकार को परेशानी हो। कई प्रदेशों में तो किसान संगठनों ने किसानों से छह माह का राशन जुटाने का संदेश भेज दिया है।

गांव-गांव में मुनादी कराई जा रही है। किसान संगठनों का कहना है कि एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और किसानों पर दर्ज मुकदमे अगर वापस नहीं किए गए, तो इस बार पहले से भी बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा। जिन संगठनों ने अभी दिल्ली कूच से बाहर रहने का फैसला किया है, उनका भी यही कहना है कि किसानों से जोर जबरदस्ती की गई, तो वे भी इसमें शामिल हो सकते हैं। ऐसी स्थिति सचमुच काफी गंभीर है। ऊपर से इसी बीच 16 फरवरी को रेवाड़ी के मजरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विकसित भारत संकल्प रैली में शामिल होना है। इस दौरान कोई अव्यवस्था न पैदा हो, इसका भी सीएम को ख्याल रखना है।

संजय मग्गू

-संजय मग्गू

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