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गौशालाओं की मदद को आगे आई मनोहर लाल सरकार

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हरियाणा सरकार ने फैसला किया है कि जिन गौशालाओं में सौ गौवंश हैं, उन्हें सात लाख रुपये अनुदान दिया जाएगा। एक अनुमान के अनुसार, पूरे प्रदेश में एक लाख से अधिक गौवंश सड़कों पर लावारिस घूमते हैं जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी होती है। प्रदेश का कोई भी शहर हो और किसी भी शहर का कोई भी इलाका हो, बैल और गाय घूमते मिल जाएंगे। इन बेसहारा जानवरों के चलते सड़क हादसे आए दिन होते रहते हैं। कई बार तो ये पशु आपस में लड़ते हैं जिसकी वजह से कई लोग चोटिल हो जाते हैं या चपेट में आने से उनकी मौत हो जाती है।

सड़कों पर घूमने वाले पशुओं के मालिक कई बार दुधारू जानवरों को भी दूध निकालने के बाद छोड़ देते हैं। ये दुधारू जानवर सब्जी और अनाज मंडियों में जाकर किसानों और दुकानदारों को नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ लोग तो ऐसा भी करते हैं कि सुबह गाय का दूध निकालने के बाद छोड़ देते हैं। उनकी गाय दिनभर इधर उधर घूमने और चरने के बाद शाम को घर लौट आती है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने गौशालाओं को बछड़ा या बछड़ी के लिए 20 रुपये, गाय के लिए 30 रुपये और नंदी के लिए 40 रुपये प्रतिदिन अनुदान देने का फैसला किया है।

प्रदेश में इस समय 662 गौशालाएं संचालित हो रही हैं। इन गौशालाओं ने प्रदेश सरकार के सामने 65 हजार गौवंश को रखने का आश्वासन दिया है। प्रदेश सरकार ने 609 गौशालाओं के लिए 35 करोड़ रुपये के अनुदान की दूसरी किस्त भी जारी कर दी है। गौशालाओं को अनुदान देकर प्रदेश सरकार उन्हें गौवंश के चारे की व्यवस्था करने के लिए कहा है। यही नहीं करीब तीन दर्जन ग्राम पंचायतों ने राज्य गौसेवा आयोग को नई गौशालाएं खोलने का प्रस्ताव भेजा है। अगर इसी तरह कुछ और ग्राम पंचायतें अपने यहां नई गौशालाएं खोल लें, तो प्रदेश से लावारिस पशुओं की समस्या को हल किया जा सकता है। इस काम में प्रदेश का संत-साधु समाज काफी हद तक सहयोग कर सकता है।

जितने भी धर्म स्थल और संत समाज के आश्रम हैं, यदि वे अपने यहां पांच-दस गौवंश को पालने और उनके चारे की व्यवस्था का जिम्मा ले लें, तो काफी हद तक इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। असल में साधु-संत अपने यहां पलने वाले गौवंश की देखभाल कहीं अच्छी तरह से सकते हैं। इससे उनकी धार्मिक भावनाएं भी जुड़ी होंगी। इससे अन्य लोगों को भी एक संदेश मिलेगा और लोग प्रेरित होकर अपने पशुओं को खुला छोड़ने से परहेज कर सकते हैं। वे गौवंश को पालने के लिए भी प्रेरित हो सकते हैं। वैसे भी हिंदू धर्म में गौवंश की महिमा बखानी गई है। कुछ लोग तो गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन बेसहारा घूमने वाली गायों की देखभाल के लिए कुछ नहीं करते हैं।

-संजय मग्गू

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