महाभारत में पितामह भीष्म आत्म विश्वास के कारण अपनी मृत्यु को कुछ दिनों तक टालने के सबसे प्राचीन और बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने तय कर लिया कि सूर्य के दक्षिणायन में रहते हुए नहीं मरना है, तो अपने आत्म विश्वास की बदौलत उन्होंने असंभव को भी संभव कर दिखाया। जहां तक उनके इच्छा मृत्यु का वरदान हासिल होने की बात है, यह मिथक भी हो सकता है। वरना भला मृत्यु को कौन टाल सकता है? यदि कोई भीषण हादसा या प्राकृतिक आपदा न आई हो या अचानक मौत न हुई हो, तो अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति यानी आत्मविश्वास की बदौलत मौत को कुछ घंटे या दिनों तक टाला जा सकता है।
बस जीवन और मृत्यु को लेकर सोच हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए। मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक मानते हैं कि जब व्यक्ति किसी व्यक्ति को कोई ऐसी बीमारी हो जाती है जो जान लेवा हो और यह बात जब रोगी को पता चलती है, तो उसे रोग से लड़ने की ताकत आत्मविश्वास के कारण ही मिलती है। आपको बहुत सारे कैंसर के रोगी मिल जाएंगे जिन्होंने अपने आत्मविश्वास के बल पर न केवल रोग को मात दिया, बल्कि अपने परिवार का भी हौसला बनाए रखा। चिकित्सक कहते हैं कि इस तरह की परिस्थितियों में जो लोग आत्म विश्वास खो देते हैं, वे बड़ी तेजी से मौत की ओर अग्रसर हो जाते हैं। मिसिसिपी स्टेट यूनिवर्सिटी के एक्सरसाइज फिजियोलॉजी विभाग से जुड़े डॉ. जचारी एम गिलेन कहते हैं कि आत्मविश्वास खुद को प्रेरित करने में मदद करता है और इसका सकारात्मक असर होता है।
इससे एपिनेफ्राइन, एड्रिनालिन और नोराएड्रिनालिन हार्मोन के स्तर में भारी इजाफा होता है, जो ताकत का अहसास बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। प्रबल आत्मविश्वास के लिए सबसे जरूरी है कि जानलेवा बीमारी के लड़ने की बात ठान ली जाए। प्रबल आत्मविश्वास के लिए जरूरी है कि योग और मेडिटेशन का सहारा लिया जाए। योग और मेडिटेशन इंसान में प्रबल आत्मविश्वास पैदा करते हैं। इसके लिए यह भी जरूरी है कि खुद पर विश्वास हो और सोच सकारात्मक हो। तभी इंसान में किसी बीमारी से लड़ने का जज्बा पैदा होता है। ऐसी स्थिति में खुद को लाचार मानना बिल्कुल गलत है।
जीवन में चाहे जितनी भी विषम परिस्थितियां आकर खड़ी हो जाएं, व्यक्ति को हमेशा अपने को असहाय नहीं महसूस करना चाहिए। असहाय होने की भावना ही विषम परिस्थितियों से लड़ने में बाधक साबित होती है। यह कभी लगे कि आप अपने को असहाय या अपने में आत्मविश्वास की कमी महसूस कर रहे हैं, तो कसरत और योगासन करें और मेडिटेशन करें। धीरे-धीरे लगेगा कि खोया हुआ आत्म विश्वास लौट रहा है। हां, अपनी उम्र और स्थिति के अनुसार कसरत, योगासन और मेडिटेशन करना चाहिए। पहले शरीर जितनी अनुमति दे, उतना ही अभ्यास करना चाहिए। धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाएं, तो बेहतर होगा।
-संजय मग्गू