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अब तो भीड़ में भी अकेले रहने लगे हैं लोग

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हमारे देश में एक बहुत पुरानी कहावत है कि आदमी भीड़ में भी अकेला हो सकता है। देश-दुनिया में ऐसे लोगों की आबादी बढ़ रही है जो अकेलापन महसूस करते हैं। भीड़ में रहकर भी अकेले हैं। आफिस में सहकर्मियों से घिरे होने के बावजूद अकेले हैं। आज की दुनिया में इतने संसाधन उपलब्ध हैं कि मनुष्य यदि चाहे तो अकेलेपन को दूर कर सकता है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्वीटर, यूट्यूब जैसे न जाने कितने मंच हैं जिनका उपयोग करके इंसान अपने अकेलेपन से लड़ सकता है। लेकिन सच तो यह है कि ये सभी मंच व्यक्ति को एक कृत्रिम दुनिया में ले जाते हैं, जो थोड़ी देर के लिए तो राहत दे सकते हैं, लेकिन स्थायी सुख का साधन नहीं हो सकते हैं।

इसके लिए जरूरी है कि इंसानों का सक्रिय साथ यानी इंसान के साथ क्रियागत संबंध। जब तक हम लोगों से मेलजोल नहीं रखेंगे, उनसे बातचीत नहीं करेंगे, तो फिर अकेलापन कैसे दूर होगा। अकेलापन दूर करने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति सामूहिक कार्यों में भाग ले। आफिस में लंच टाइम है, तो सबके साथ बैठकर लंच करें। थियेटर में सिनेमा देखने जाएं, नाटक देखने जाएं, फिटनेस क्लास ज्वाइन करें। कहने का मतलब यह है कि आप उन स्थलों पर जाएं जहां लोग समूह में मिलते हों। यहां भी अकेला बैठने की जगह लोगों से संवाद कायम करें। बचपन में जो कुछ करना चाहते थे, लेकिन किसी मजबूरी की वजह से नहीं कर सके हैं, तो अपनी उस इच्छा को अब पूरा करने की कोशिश करें।

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पुराने दिनों को याद करें। जो अच्छी यादें हैं, उनको दोहराने की कोशिश करें। उन्हें लिपिबद्ध करें। आप पाएंगे कि आपका अकेलापन दूर हो रहा है। बचपन की तस्वीरें हों, तो उसे देखें और लोगों को उस तस्वीर के बारे में बताएं। बचपन के दोस्तों से मिलने की कोशिश करें। मित्रों के साथ बैठकर ठीक वैसे ही बात करें जैसे बचपन में करते थे। बातें अगर छिछोरी और अश्लील हों, तो भी चलेगा, लेकिन बचपन के मित्रों के साथ। सामाजिकता को नुकसान पहुंचाए बिना। एक बार मन से अकेलेपन का बोझ उतरा, तो लगेगा कि आप तरोताजा हो गए हैं। बचपन के मित्रों से मिलना, आपके जीवन में किसी बूस्टर इनर्जी की तरह काम करेगा।

बचपन में डांसिंग, स्वीमिंग, चित्रकारी या किसी खेल के प्रति रुचि थी, तो अब उस शौक को पूरा करें। अकेलापन दूर करने के लिए आप नए-नए दोस्त बना सकते हैं। उनके साथ समय निकालकर घूमने-फिरने जाएं। सप्ताह में एक बार बैठकी जमाएं, कहानी-कविता सुनें और सुनाएं। बस अपने को मशीन बनाने से बचें। आफिस में काम निबटाया और घर आकर बंद हो गए कमरे में, यदि आपका ऐसा रुटीन है, तो अकेलापन घेरेगा ही। अपने जीवन साथी के साथ थोड़ी देर ठिठोली करें, उनको चिढ़ाएं, खिझाएं और फिर उन्हें मनाने की एक्टिंग करें। किसी पार्क में अपने जीवन साथी का हाथ पकड़कर दौड़ें या फिर रेस लगाने की बात करें। फिर देखिए आपका अकेलान कैसे दूर होता है।

Sanjay Maggu

-संजय मग्गू

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