कर्नाटक की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव का फैसला किया है। राज्य के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा के मुताबिक, इस महीने के आखिरी तक पाठ्यक्रम में उक्त बदलाव किए जाने की संभावना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार पहले से प्रकाशित पुस्तकों को वापस नहीं लेगी, बल्कि राज्य के सभी स्कूलों को अलग से एक पुस्तिका भेजी जाएगी, जिसमें नए चैप्टर्स के साथ-साथ आवश्यक दिशा-निर्देश भी होंगे। राज्य सरकार के इस कदम पर भारतीय जनता पार्टी ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर ऐसा कुछ किया गया, तो वह किसी भी हाल में चुप नहीं बैठने वाली। दरअसल, भाजपा को अंदेशा है कि हाल में सूबे की सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस सरकार साल 2022 में बोम्मई सरकार द्वारा पाठ्यक्रम में किए गए बदलाव की समीक्षा की आड़ लेते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक हेडगेवार एवं वीर सावरकर के चैप्टर हटाने की तैयारी में है।
हालांकि, नवनियुक्त शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा का कहना है कि सरकार जो भी करेगी, बच्चों का हित देखते हुए ही करेगी। हम यह नहीं जानते कि किसने क्या किया और करते वक्त क्या सोचा। हम सिर्फ स्कूलों को एक अतिरिक्त पुस्तिका भेजकर उन्हें निर्देशित करेंगे कि कौन से चैप्टर पढ़ाए जाएंगे और कौन से नहीं। मालूम हो कि हाल में दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी बीए (राजनीति विज्ञान) के पाठ्यक्रम से ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा’ जैसा अमर गीत लिखने वाले ख्यातिनाम शायर अल्लामा मुहम्मद इकबाल द्वारा लिखित ‘मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट्स’ नामक चैप्टर हटाने का ऐलान किया है।
उल्लेखनीय है कि साल 1877 में सियालकोट में जन्मे अल्लामा मुहम्मद इकबाल पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि हैं और उन्हें पाकिस्तान बनाने का आइडिया देने वाले अग्रिम पंक्ति के लोगों में शुमार किया जाता है। विडंबना देखिए! देश के विद्यार्थी क्या पढ़ेंगे और क्या नहीं, यह सियासत दां तय कर रहे हैं, वह भी अपना सियासी नफा-नुकसान, पार्टी की विचारधारा और लाइन देखकर। सूबाई सरकारों की यह मनमर्जी न सिर्फ विद्यार्थियों को अपेक्षित ज्ञान-जानकारी से वंचित कर रही है, वरन् आपसी भेदभाव को भी बढ़ावा दे रही है।
संजय मग्गू