तनवीर जाफरी
गोदी मीडिया, प्रचार तंत्र, झूठ, धर्म, अतिवाद के बल पर देश को चाहे जो भी सपने दिखाये जा रहे हों परन्तु हकीकत यही है कि भारतीय राजनीति में मूल्यों व नैतिकता के स्तर का जितना पतन गत 10-15 वर्षों के दौरान होता दिखाई दिया है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। जो विपक्ष सत्ता संतुलन के लिए जरूरी समझा जाता था। जिस विपक्ष को सत्ता पक्ष हमेशा मान सम्मान दिया करता था, उसकी आलोचनाओं व संशोधन पर गंभीर हुआ करता था, वही विपक्ष, अब सत्ता को दुश्मन नजर आने लगा है।
सत्ता की लाख कोशिशों के बावजूद वर्तमान समय में विपक्षी राजनीति की धुरी समझा जाने वाला गांधी-नेहरू परिवार आज भी कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपनी पहुँच बनाये रखने वाला एक राजनीतिक परिवार है। मोतीलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू की स्वतंत्रता संग्राम में रही अग्रणी भूमिका से लेकर इंदिरा गाँधी व राजीव गाँधी की कुर्बानियों तक ने यह साबित कर दिया है कि यह कोई ऐसा राजनीतिक घराना नहीं जिसे नजरअंदाज किया जा सके। उत्तर भारत की तुलना में अधिक जागरूक व शिक्षित समझे जाने वाले दक्षिणी राज्यों में आज भी कांग्रेस विशेषकर गांधी नेहरू परिवार की स्वीकार्यता इस बात का प्रमाण है कि देश में इस परिवार की लोकप्रियता आज भी बरकरार है।
दर्जनों मुकदमों में राहुल गांधी को उलझाया गया। पिछली लोकसभा में उनकी लोकसभा सदस्यता तक छीन ली गयी। उसके बाद उनका सरकारी मकान खाली करवा लिया गया। इस परिवार का केवल मनोबल गिराने के लिये विभिन्न सरकारी एजेंसीज द्वारा सोनिया व राहुल गांधी से घंटों लंबी पूछताछ की गयी। भाजपा आईटी सेल दुषप्रचारित करने में लगा हुआ है कि इस परिवार के पूर्वज मुस्लिम थे। यह हिन्दू विरोधी मानसिकता रखने वाला परिवार है। पिछले लोकसभा चुनावों में पूरे देश ने दुष्प्रचार का वह स्तर देखा भी है जबकि सत्ता पक्ष यह प्रचारित करता रह कि यदि इण्डिया गठबंधन सत्ता में आई तो यह राम मंदिर पर बुलडोजर चलवा देगी, यहां फिर से बाबरी मस्जिद बनवा देगी, आपका मंगल सूत्र छीनकर मुसलमानों को दे देगी। नेहरू-गाँधी परिवार से ईर्ष्या का कारण यही है कि यह परिवार वास्तविक भारतीय तहजीब का प्रतिनिधित्व करता है।
पिछले दिनों लोकसभा में राहुल गांधी को राजनीतिक दुष्चक्र में उलझाने का एक की कोशिश की गई। भाजपा के पूर्व मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद बांसुरी स्वराज और हिमांग जोशी ने पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस थाने में नेता विपक्ष राहुल गांधी के विरुद्ध छह धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इसमें नगालैंड से भाजपा महिला सांसद फान्गनॉन कोन्याक का आरोप है कि राहुल गांधी उनके करीब आ गए थे और वह असहज हो गई थीं।
इसी तरह बालासोर(ओडिशा) से भाजपा सांसद प्रताप सारंगी ने आरोप लगाया कि मैं सीढ़ियों पर था। उस समय राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का मारा और वह मुझ पर गिर पड़े इससे मुझे चोट लग गई। इसी तरह उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत ने भी संसद में हुई धक्का मुक्की के बाद अपने सिर में चोट लगने का आरोप लगाया। उधर कांग्रेस के अनुसार भाजपा सांसदों ने राहुल गांधी व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ धक्का-मुक्की की।
संसद में एक दृश्य उस समय देखने को मिला, जब गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव आंबेडकर के नाम के साथ कुछ ऐसे शब्द बोल दिये जिससे विपक्ष भड़क उठा। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से भाजपा के ही अनेक मंत्री, सांसद तथा कई वरिष्ठ नेता संविधान बदलने सी बात कह रहे हैं। भाजपा ने इन चर्चाओं से पार्टी को अलग तो जरूर रखा, परन्तु ऐसे नेताओं के विरुद्ध कोई कार्रवाई कतई नहीं की। यहीं से विपक्ष को यह कहने का अवसर मिल गया कि की भाजपा संविधान विरोधी है तथा संविधान को समाप्त करना चाह रही है। तभी से अनेक विपक्षी सांसद सदन में अक्सर संविधान की पुस्तिका हाथों में लेकर उसे प्रदर्शित करते नजर आते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि सत्ता पक्ष-विपक्ष की आकांक्षाओं के चलते भारतीय राजनीति घोर अंधकार युग में प्रवेश करती दिखाई दे रही है।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
घोर अंधकार युग में प्रवेश करती भारतीय राजनीति
- Advertisement -
- Advertisement -
RELATED ARTICLES