संजय मग्गू
हरियाणा की नदियों के प्रदूषित होने की वजह से इसके किनारे रहने वाले और नदियों के प्रदूषित जल का उपयोग करने वाले लोग कई तरह की बीमारियां के शिकार हो रहे हैं। हरियाणा की ही नहीं, देश की लगभग सभी नदियों का यही हाल है। इन नदियों के आसपास बसे शहर का पानी भी प्रदूषित हो चुका है। इन नदियों का पानी पीने वाले लोग हैजा, टाइफाइड, बुखार, दस्त, अल्सर, हेपेटाइटिस, फेफड़ों और श्वसन नलिकाओं में संक्रमण, किडनी और आंतरिक अंगों से होने वाले अंत: स्राव जैसी समस्याओं के चलते परेशानियां उठा रहे हैं। जलजनित रोगों के चलते लोगों का जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है। अगर बात करें हरियाणा की तो कुल नदियों में से आधी इतनी प्रदूषित हो चुकी हैं कि उनका पानी छूने लायक ही नहीं बचा है। प्रदेश की सबसे अधिक प्रदूषित नदियों में घग्गर, कौशल्या, मारकंडा और साहिबी हैं। इनमें भी घग्गर का हाल तो बहुत बुरा है। घग्गर के जल की वजह से लोगों को कैंसर जैसा जानलेवा रोग हो रहा है। हरियाणा में 2019 में 1,486, 2020 में 1,536, 2021 में 1,580, 2022 में 1,630 तथा 2023 में 1,678 कैंसर के मामले सामने आ चुके हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के तहत मानव स्वास्थ्य जोखिम मूल्यांकन के संबंध में 2024 में अध्ययन रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि घग्गर नदी के आसपास रहने वाले लोगों में कैंसर होने की आशंका सबसे ज्यादा है। घग्गर नदी के पानी में सीसा, लोहा, एल्यूमीनिय की मात्रा मानक से बहुत अधिक है। इसकी वजह से घग्गर नदी का पानी न तो पीने लायक रहा और न ही नहाने लायक। नदियों का जल प्रदूषित होने से केवल इनसानों को ही नुकसान नहीं होता है, बल्कि इनका पानी पीकर पशु-पक्षी भी बीमार पड़ रहे हैं। पशु-पक्षियों में कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं जो इंसानों को भी संक्रमित कर देते हैं। इस मामले को लेकर केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार भी सतर्क हो गई है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फिलहाल घग्गर नदी में प्रदेश में नौ जगहों पर निगरानी केंद्र स्थापित किए हैं ताकि घग्गर नदी जल की गुणवत्ता पर निगाह रखी जा सके। नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए सबसे पहले जरूरी यह है कि कल-कारखानों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों और दूषित कचरे को नदियों में मिलने से रोका जाए। जब तक नदियों में रासायनिक कचरा जाता रहेगा, तब तक नदियों को प्रदूषण मुक्त नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही साथ प्रदेश के नागरिकों को भी सचेत होना होगा। उन्हें यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि यदि नदियां प्रदूषित हुईं तो उनका जीवन भी सुरक्षित नहीं रहेगा। नदियां हमारे लिए जीवनदायिनी हैं।
हमारी ही गलतियों के चलते जीवन दायिनी नदियां दे रही जानलेवा रोग
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