Tuesday, January 21, 2025
17.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiहर साल लाखों लोगों को निगल रहा देश में बढ़ता प्रदूषणसंजय मग्गू

हर साल लाखों लोगों को निगल रहा देश में बढ़ता प्रदूषण
संजय मग्गू

Google News
Google News

- Advertisement -

प्रदूषण के चलते केवल भारत ही नहीं त्रस्त है, दुनिया के 127 देशों में प्रदूषण ने कहर बरपा रखा है। हमारे देश में दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश आदि गैस चैंबर बने हुए हैं। प्रदूषण के चलते हर साल लगभग 12 लाख लोग असमय काल कवलित हो रहे हैं। इससे अछूता अमेरिका भी नहीं है। वहां भी सालभर में एक लाख से अधिक मौतें प्रदूषण के कारण हो रही है। प्रदूषण के चलते हो रही मानवीय क्षति चिंताजनक है। यदि पिछले एक दशक से बढ़ते वायु प्रदूषण को कम नहीं किया गया, तो पूरी दुनिया में एक बहुत बड़ी आबादी सांस संबंधी रोगों और त्वचा कैंसर के चलते मौत के मुंह में समा जाएगी। अभी के हालात यह है कि पूरी दुनिया में 81 लाख से अधिक लोग प्रदूषण की चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं। इस समय पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पांच देश वायु प्रदूषण का दंश झेल रहे हैं। इस प्रदूषण के चलते देश की जीडीपी को भारी नुकसान होता है। चीन को प्रदूषण के चलते हर साल कुल जीडीपी का 6.6 प्रतिशत नुकसान उठाना पड़ता है। इसके बाद भारत का नंबर आता है और कुल जीडीपी का 5.4 प्रतिशत नुकसान उठाने को मजबूर है। रूस को 4.1, जर्मनी को 3.5 और अमेरिका को तीन प्रतिशत कुल जीडीपी का नुकसान हो रहा है। ग्लोबल इकोनॉमी को हर साल 664.2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसमें भारत का 7.8 लाख करोड़ रुपये शामिल है। आईक्यूएयर की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के सात देश अंतरराष्ट्रीय मानको पर खरे उतरते हैं। यह देश आस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड, मॉरीशस और न्यूजीलैंड हैं। दुनिया का सबसे ज्यादा प्रदूषित देश पाकिस्तान है जहां पर पीएम 2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से 14 गुना ज्यादा है। भारत और पाकिस्तान में हालात बहुत बदतर हैं। यहां पर सांस संबंधी दवाओं की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते यहां पर स्मॉग इकोनॉमी विकसित हो रही है जिसमें ऐसी दवाओं का उत्पादन बढ़ रहा है जो प्रदूषण जनित रोगों के इलाज में काम आती हैं। एक अनुमान के मुताबिक, सांस संबंधी रोगों की दवाओं का कारोबार दस हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। अक्टूबर 2021 में इन दवाओं की बिक्री छह हजार सौ करोड़ रुपये थी। यदि भारत को प्रदूषण मुक्त करना है, तो केंद्र और राज्य सरकारों को सबसे पहले डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहन की खरीद को कम कराना होगा। सार्वजनिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करना होगा। साइकिल और इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुंच अधिक से अधिक लोगों तक करनी होगी। फॉसिल फ्यूल वाहनों की बिक्री पर रोक लगाने से काफी हद तक समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो प्रदूषण के चलते होने वाली मौतों का आंकड़ा और बढ़ता जाएगा। अर्थव्यस्था को जो नुकसान होगा, वह अलग है। देश का हर दूसरा-तीसरा नागरिक बीमार होगा।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

‘पोषण भी पढ़ाई भी’ अभियान के तहत दिया प्रशिक्षण

फरीदाबाद, 21 जनवरी। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) द्वारा 2023 में शुरू किए गए राष्ट्रीय ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ अभियान के तहत पोषण भी पढ़ाई भी (पीबीपीबी) प्रशिक्षण फरीदाबाद...

RG Kar Case: ‘ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर के दोषी को मिले मौत की सजा’, आरजी कर मामले में हाई कोर्ट से गुहार

पश्चिम बंगाल सरकार ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज दुष्कर्म और हत्या मामले में सियालदह कोर्ट द्वारा संजय रॉय को सुनाई गई उम्रकैद की सजा...

जानिए अपना राशिफल (2025)(बुधवार 22 जनवरी 2025)

बुधवार का दिन जो की अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार कई राशियों के लिए ख़ास रहने वाला है। ग्रह-नक्षत्रों की...

Recent Comments