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शास्त्री जी ने खरीदी सबसे सस्ती साड़ियां
अशोक मिश्र
लाल बहादुर शास्त्री का बचपन काफी दिक्कतों के बीच गुजरा था। जब वह छोटे थे, तभी उनके पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव की मृत्यु हो गई। मजबूरी में उनकी मां अपने पिता के यहां रहने चली गईं। कुछ ही दिन बीते थे कि शास्त्री जी के नाना का भी इंतकाल हो गया। इतनी गरीबी में जिसने बचपन गुजरा हो, तो वह रुपये-पैसे की कीमत समझ सकता है। उनकी पढ़ाई लिखाई भी बहुत गरीबी में हुई। शास्त्री जी की पढ़ाई लिखाई का खर्चा भी उनके मौसा रघुनाथ प्रसाद ने उठाया। उन्होंने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि धारण की। वह कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में से एक थे। सन 1964 में जब जवाहर लाल नेहरू की मौत हुई, तो वह वरिष्ठ होने के नाते प्रधानमंत्री बनाए गए जो लगभग 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे। एक बार की बात है। शास्त्री जी को अपनी पत्नी ललिता के लिए साड़ियां खरीदनी थीं। ललिता जी की साड़िÞयां काफी पुरानी और खराब हो गई थीं। एक दुकान पर पहुंचकर शास्त्री जी ने साड़ियां दिखाने को कहा। दुकान के मैनेजर ने महंगी महंगी साड़ियां दिखाईं तो शास्त्री जी ने कहा कि मुझे इतनी महंगी साड़ियां नहीं चाहिए। दुकान का मैनेजर बोला, आप साड़ियां पसंद तो कीजिए। कीमत की चिंता मत करें। शास्त्री जी ने कहा कि नहीं सस्ती साड़ियां दिखाई। तो मैनेजर ने थोड़ी सस्ती साड़ियां दिखा दीं। शास्त्री जी फिर बोले, तुम्हारे यहां सबसे सस्ती साड़ी हो वह दिखाओ। मजबूरन मैनेजर को अपने दुकान की सबसे सस्ती साड़ियां दिखाईं। शास्त्री जी ने कुछ साड़ियां पसंद की और उसके पैसे अदा किए। मैनेजर बार-बार पैसे लेने से इनकार करता रहा, लेकिन शास्त्री जी ने साड़ियां तभी ली, जब दुकान के मैनेजर ने पैसा लेना स्वीकार किया। शास्त्री जी की सादगी और ईमानदारी को देख सब चकित थे।

अशोक मिश्र

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