उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में मंगलवार को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत 543 बेटियों की शादी बड़े धूमधाम से कराई गई। इस योजना का उद्देश्य गरीब बेटियों को शादी के लिए आर्थिक मदद और जरूरी सामान देकर उनकी जिंदगी को बेहतर बनाना है। लेकिन इस बार समारोह में जो हुआ, उसने सरकार की नीयत और योजनाओं की सच्चाई को उजागर कर दिया।
उपहार या अपमान?
इस शादी समारोह में समाज कल्याण विभाग की ओर से दुल्हनों को जो उपहार दिए गए, वह सम्मान से ज्यादा अपमान का एहसास कराते हैं। नकली पायल, घटिया साड़ियां, फटे हुए कुकर, सस्ते बर्तन, और नकली लिपस्टिक जैसी चीजें “उपहार” के नाम पर दूल्हा-दुल्हन को दी गईं। जब इन सामानों को परिवार वालों ने देखा, तो उनकी खुशी गुस्से और निराशा में बदल गई। गरीबों की मदद के नाम पर ऐसा खिलवाड़ पहले शायद ही देखा गया हो।
सरकारी योजनाओं की पोल खुली
इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि सरकारी योजनाएं कागज़ों पर जितनी शानदार दिखती हैं, असलियत में उनकी जमीनी हकीकत उतनी ही बदहाल होती है। सामूहिक विवाह योजना, जो गरीब बेटियों को सशक्त करने के उद्देश्य से बनाई गई थी, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की शिकार बन चुकी है। सस्ते और नकली सामान का वितरण इस बात का प्रमाण है कि किस तरह गरीबों के नाम पर सरकार का पैसा बर्बाद किया जा रहा है।
गरीबों का सपना टूटा
आखिर इन बेटियों का क्या कसूर था? वे सिर्फ इस उम्मीद में शादी के लिए आई थीं कि सरकार उनके जीवन को थोड़ा आसान बनाएगी। लेकिन इस आयोजन ने उनकी उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया।
क्या वाकई मदद थी यह?
सवाल उठता है कि क्या यह वाकई गरीबों की मदद थी या एक राजनीतिक स्टंट? क्या सरकारी योजनाओं का उद्देश्य मदद करना है या केवल आंकड़े बढ़ाकर वाहवाही लूटना? इस तरह की घटनाएं सरकार की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
अधिकारियों पर कार्रवाई का इंतजार
अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सरकार इन लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करेगी, या फिर गरीबों के नाम पर इस मजाक को यूं ही जारी रखा जाएगा। बस्ती की यह घटना सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि पूरे तंत्र की विफलता का एक कड़वा सच है।