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बुजुर्ग महिला बोली, कहां है आजादी?
अशोक मिश्र

जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर तब संभाली थी, जब भारत संसाधनों के मामले में काफी गरीब था। लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू के नेतृत्व में देश ने एक वैज्ञानिक सोच वाले लोकतांत्रिक भारत का सपना देखा था। वह कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे। यही वजह है कि वह भारत के पहले प्रधानमंत्री चुने गए। उनके पिता मोती लाल नेहरू देश के नामी वकीलों में गिने जाते थे। वह कश्मीरी ब्राह्मण थे। उनका बचपन इलाहाबाद में स्थित आनंद भवन जैसे भव्य मकान में बीता था। इसके बावजूद वह कांग्रेस में शामिल होकर स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़े। एक बार की बात है। प्रधानमंत्री रहते हुए वह किसी काम से इलाहाबाद आए। यह जानकर बहुत सारे लोग उनको देखने के लिए जमा हो गए। भीड़ काफी होने के कारण उनकी कार धीरे-धीरे चल रही थी। तभी भीड़ को चीरती हुई एक बुजुर्ग महिला आकर कार के पास खड़ी हो गई। वह बोली, कहां है जवाहर। तू तो कहता था कि आजादी मिल गई? कहां है आजादी? आजादी तो तुम जैसे अमीरों को मिली है। हम जैसे लोगों को कहां आजादी मिली। मेरे बेटे को तुम्हारी आजादी में नौकरी तक नहीं मिल रही है। यह सुनकर नेहरू ने गाड़ी रुकवाई। उस महिला के सामने हाथ जोड़कर खडेÞ हो गए और बोले, आप कहती हैं कि कहां है आजादी? आपको आजादी महसूस नहीं हुई। एक प्रधानमंत्री को तू कहकर बुला रही हैं, क्या पहले ऐसा कर पातीं। यह सुनकर महिला का गुस्सा शांत हो गया। नेहरू ने कहा कि माता जी, आपकी समस्या को मैं देखता हूं। क्या किया जा सकता है। कुछ लोगों ने लिखा है कि उस महिला ने नेहरू का कालर पकड़ लिया था, लेकिन ऐसा लगता नहीं है।

अशोक मिश्र

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