यह अच्छा हुआ कि हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने अपेक्षित सजगता और सहानुभूति बरतते हुए किसानों की बात समय रहते मान ली और आंदोलन बिना कोई बात बिगड़े खत्म हो गया। मालूम हो कि सूरजमुखी की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद की मांग कर रहे किसानों पर शाहाबाद में लाठीचार्ज के विरोध में किसान संगठनों ने सोमवार को दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे जाम कर दिया था, जिसमें प्रदर्शन के दौरान कई किसान नेता गिरफ्तार कर लिए गए थे। लेकिन, प्रदेश सरकार ने बिना समय गंवाए बहुत ही सूझ-बूझ के साथ काम लिया। सूरजमुखी की फसल के लिए 6400 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी की मांग थी, जिसे बातचीत के जरिये सुलटाते हुए पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर पर सहमति बनी। यही नहीं, सरकार ने शेष 1400 रुपये की धनराशि भावांतर भरपाई योजना के तहत भुगतान करने की घोषणा की। ध्यान रहे, मनोहर लाल सरकार ने भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों के लिए पिछले दिनों 29.13 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की है।
बीबीवाई प्रदेश सरकार की वह कल्याणकारी योजना है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में बेची गई फसल के लिए अंतरिम सहायता के रूप में प्रति क्विंटल एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। विधि की विडंबना तो देखिए! जो अन्नदाता अपना हाड़ गलाकर पूरे देश का पेट भरते हैं। मनुष्य के लिए रोटी और पशुओं के लिए चारे का प्रबंध करते हैं, उन्हें अपना हक हासिल करने के लिए अक्सर सड़कों पर उतरना पड़ता है। अभी ज्यादा समय नहीं बीता है, मार्च के महीने में बेमौसम की बारिश एवं ओलावृष्टि ने गेहूं, सरसों और मौसमी सब्जियों की खड़ी फसल चौपट कर दी थी।
पुरानी कहावत है कि भारतीय किसान का जन्म कर्ज की काली परछाई तले होता है और उसका अवसान भी कर्ज के बोझ तले। उस पर कोई भी रहम नहीं करता, यहां तक विधाता भी। कभी बारिश, कभी पाला तो कभी ओलावृष्टि के जरिये प्रकृति भी उससे अपना हाथ छुड़ा लेती है। प्रदेश सरकार ने किसानों की मांग पर अपेक्षित गंभीरता बरती और उनके दर्द पर मरहम रखने का प्रयास किया। सरकार के फैसले का आम जन के बीच एक अच्छा संदेश गया है।
संजय मग्गू