महाराणा संग्राम सिंह, महाराणा कुंभा के बाद सबसे प्रसिद्ध महाराजा थे। इन्होंने अपनी शक्ति के बल पर मेवाड़ साम्राज्य का विस्तार किया और उसके तहत राजपूताना के सभी राजाओं को संगठित किया। राणा रायमल की मृत्यु के बाद 1509 में राणा सांगा मेवाड़ के महाराणा बन गए। राणा सांगा ने अन्य राजपूत सरदारों के साथ सत्ता का आयोजन किया। राणा सांगा ने मेवाड़ में 1509 से 1528 तक शासन किया, जो आज भारत के राजस्थान प्रदेश में स्थित है। राणा सांगा ने विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध सभी राजपूतों को एक किया।
कहा जाता है कि एक बार उन्होंने राज्य के चित्रकारों को बुलाकर कहा कि वे उनकी एक सुंदर सी तस्वीर बनाएं जिसे राजमहल में लगाया जा सके। सारे चित्रकार अचरज में पड़ गए कि उनकी किस तरह सुंदर तस्वीर बनाई जाए जिससे चित्र भी सुंदर लगे और राजा नाराज न हो क्योंकि विभिन्न युद्धों में राजा एक आंख और एक टांग गंवा चुके थे। सभी चित्रकार चिंता में थे, तभी एक युवक चित्रकार ने कहा कि वह राजा की तस्वीर बनाकर देगा। चित्रकार ने कुछ दिनों बाद राजा की तस्वीर बनाकर राजसभा में पेश की, तो सारे लोग आश्चर्यचकित हो गए। चित्रकार ने राणा सांगा को घोड़े पर बैठकर शत्रु पर तीर का निशाना लगाते दिखाया था। इससे राजा की दिव्यांगता छिप गई थी।
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राणा सांगा इस चित्र को देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने चित्रकार को बहुत सारा धन देकर विदा कर दिया। ठीक ऐसा ही किस्सा शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह के बारे में भी कहा जाता है। यह घटना बताती है कि हमें किसी की कमी को देखने के बजाय उसकी खूबियां देखनी चाहिए। राणा सांगा रहे हों या महाराजा रणजीत सिंह, दोनों न्यायप्रिय और बहादुर राजा थे।
-अशोक मिश्र
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