Editorial: महात्मा बुद्ध का जन्म इक्ष्वाकु वंश के शाक्य कुल में हुआ था। उनकी मां मायादेवी की मौत उनको जन्म देने के कुछ समय बाद हो गया था। उनका पालन पोषण उनकी मौसी गौतमी ने किया था। यही वजह है कि उन्हें गौतम कहकर पुकारा गया। दर्शन में उन्होंने सबसे पहले अवतारवाद का विरोध किया था, लेकिन उनकी मौत के कुछ समय बाद वे भी भगवान बना दिए गए। बुद्धत्व प्राप्त करने के बाद गौतम हमेशा भ्रमण करते रहे और लोगों को अपनी सरल भाषा में धर्म के बारे में बताते चलते थे। एक बार की बात है। वे बिहार गए हुए थे।
बिहार के एक नगर में एक धनाढ्य व्यापारी रहता था। वह अपनी पुत्री मांगदिया का विवाह किसी सुंदर, सुशील और चरित्रवान व्यक्ति से करना चाहता था। अपनी बेटी के योग्य उसने कई वर देखे, लेकिन कोई उसे पसंद नहीं आया। एक दिन उसने प्रवचन के दौरान महात्मा बुद्ध को देखा, तो उसे उनके चेहरे पर तेज नजर आया। उसने महात्मा बुद्ध के सामने अपनी बेटी के विवाह का प्रस्ताव रखा। बुद्ध ने कहा कि मैंने संसार त्याग दिया है। मैं अपनी पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल का भी परित्याग कर दिया है। मैं अब किसी से कैसे विवाह कर सकता हूं।
यह बात जब व्यापारी की पुत्री मांगदिया को पता चली तो वह बुद्ध के प्रति ईर्ष्या रखने लगी। संयोग से उसका विवाह एक राजा से हो गया। कुछ साल बाद बुद्ध भ्रमण करते हुए मांगदिया के राज्य में पहुंचे। राजा ने बुद्ध के दर्शन के लिए जाने का फैसला किया, तो रानी ने यह अफवाह फैला दी कि बुद्ध कपटी हैं। इस पर बुद्ध का काफी अपमान हुआ। लेकिन बुद्ध शांत रहे। जब राजा रानी उनके पास पहुंचे, तो राजा ने बुद्ध से क्षमा मांगी। इस पर बुद्ध बोले राजा-रानी और पूरी प्रजा सुखी रहे यह मेरा आशीर्वाद है। तब रानी को अपनी भूल का भान हुआ, उसने बुद्ध से क्षमा मांगी।
– अशोक मिश्र