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सामने आना चाहिए मामले का सच

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अब पानी सिर के ऊपर से गुजर रहा है। कथित यौन शोषण के आरोप में घिरे सांसद बृजभूषण शरण सिंह जगह-जगह ताल ठोंकते घूम रहे हैं कि अगर उनके खिलाफ कोई सुबूत हो, तो अदालत में पेश किया जाए, वह फांसी पर चढ़ने के लिए तैयार हैं। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में उन्होंने ऐलानिया कहा कि मेडल गंगा में बहा देने से किसी को इंसाफ नहीं मिलेगा। इस विवाद का फैसला सिर्फ अदालत में होगा कि सच्चा कौन है और झूठा कौन? बकौल बृजभूषण, लोग कहते हैं कि यूं ही धुआं नहीं उठता, कुछ न कुछ जरूर है। लेकिन, मुझे जानने वाले अच्छी तरह समझ रहे हैं कि खेल कहां से और कौन कर रहा है।

मैं किसी भी तरह की जांच के लिए हमेशा तैयार हूं। मालूम हो कि मामले में अपनी कोई ठोस सुनवाई न होने से क्षुब्ध महिला पहलवानों एवं खिलाड़ियों ने विरोध स्वरूप अपने मेडल-अवार्ड्स गंगा में बहाने का ऐलान किया था और वे ऐसा करने के लिए हरिद्वार भी गए। लेकिन, वहां अपने समर्थन में पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत एवं खाप पंचायतों के नेताओं के समझाने पर उन्होंने अपना फैसला टाल दिया। उधर, इस मामले में एक दिलचस्प मोड़ यह आया है कि खुद को नाबालिग बताकर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला पहलवान पुलिस की जांच में बालिग निकली है। उसके बालिग होने की पुष्टि रोहतक स्थित उसके स्कूल के प्रमाण-पत्र से हुई।

अब होगा यह कि उसके मुकदमे से पाक्सो एक्ट की धारा हट जाएगी और केवल यौन शोषण का आरोप शेष रहेगा, जांच भी उसी पर आगे बढ़ेगी। यह शिकायती के लिए एक झटका है और आरोपी के लिए खासी राहत। फिलहाल, दोनों ही पक्ष आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रहे हैं। एक के समर्थन में खाप पंचायतें एवं किसान संगठन हैं, जिन्होंने सीधे तौर पर धमकी दे रखी है कि इंसाफ न होने पर वे दिल्ली का दाना-पानी बंद कर देंगे। वहीं, दूसरी तरफ संत-महंत एकजुट हो चुके हैं कि वे बृजभूषण पर कोई आंच नहीं आने देंगे। चिंता का विषय यह है कि इस लड़ाई से दुनिया भर में हमारी किरकिरी हो रही है।

संजय मग्गू

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