बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सहारनपुर में रैली को संबोधित करते हुए एक बार फिर पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने का शगूफा छोड़ा है। वैसे उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव एक बार बसपा सुप्रीमो मायावती विधानसभा में पास भी करवा चुकी हैं। 21 नवंबर 2011 को उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो विधानसभा में बिना किसी चर्चा के प्रदेश को चार हिस्सों अवध प्रदेश, बुंदेलखंड, पूर्वांचल और पश्चिम प्रदेश बनाने का प्रस्ताव पास करा चुकी हैं। इससे पहले भी मायावती प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने के लिए 15 मार्च 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख चुकी थीं जिस पर मनमोहन सिंह सरकार ने कोई तवज्जो ही नहीं दिया था।
जब विधानसभा में प्रस्ताव पास कराकर मायावती ने इसे केंद्र सरकार के पास भेजा, तो उस समय यूपीए सरकार में गृहसचिव रहे आरके सिंह ने कई तरह की आपत्ति उठाईं और उसे वापस प्रदेश सरकार के पास भेज दिया था। दरअसल, उत्तर प्रदेश को कई खंडों में बांटने की मांग कोई नई नहीं है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश का एक बंटवारा उत्तराखंड के रूप में 9 नवंबर 2000 को हो चुका है। इसके बावजूद अभी उत्तर प्रदेश इतना बड़ा राज्य है कि समय-समय पर इसे हरित प्रदेश, पूर्वांचल और बुंदेलखंड प्रदेश के रूप में बांटने की आवाज समय-समय पर बुलंद होती रही है। पूर्वांचल को नए राज्य का दर्जा देने की मांग तो बहुत पुरानी है।
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सन 1962 में गाजीपुर के सांसद विश्वनाथ प्रसाद गहमी ने लोकसभा में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सामने पूर्वांचल की गरीबी और पिछड़ेपन का जिक्र करते हुए पूर्वांचल प्रदेश की मांग उठाई थी। सन 1995 में कुछ समाजवादी विचारधारा से जुड़े लोगों ने गोरखपुर में जमा होकर पूर्वांचल प्रदेश की मांग उठाई थी जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर का भी नाम शामिल है। इसी तरह नब्बे के दशक में पश्चिमी प्रदेश की जगह हरित प्रदेश बनाने की मांग का श्रेय कांग्रेस नेता निर्भय पाल शर्मा और इम्तियाज खां को दिया जा सकता है।
बाद में सन 1991 में इस मुद्दे को चौधरी अजित सिंह ने लपक लिया और इस मुद्दे को संसद में उठाया, लेकिन सड़कों पर संघर्ष करने से न जाने क्यों अजित सिंह बचते रहे। ठीक इसी तरह बुंदेलखंड को राज्य का दर्जा देने की मांग कई दशकों से की जा रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिमी प्रदेश यानी हरित प्रदेश की मांग और सरकार बनने पर नया राज्य बनाने का आश्वासन देकर मायावती ने तुरुप का इक्का चलने की कोशिश की है। लेकिन इस तथ्य से वह भी और सभी वाकिफ हैं कि बसपा की जो वर्तमान सांगठनिक स्थिति है, उसमें केंद्र में उनकी सरकार बन पाना असंभव है। मायावती ने भी एक तरह का जुमला उछालकर कुछ सीटों पर जीतने की कोशिश की है। यह कितना कारगर साबित होगा, यह समय बताएगा।
-संजय मग्गू
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