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पाकिस्तान में ‘वे’ हारे जिनका दावा था सरकार हम बनाते हैं

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वर्ष 1967 में राजकपूर अभिनीत एक फिल्म आई थी दीवाना जिसका एक गाना बहुत प्रसिद्ध हुआ था, तुम्हारी भी जय जय, हमारी भी जय जय, न तुम हारे न हम हारे। पाकिस्तान में पिछले दिनों हुए नेशनल असेंबली चुनाव परिणाम इस लोकप्रिय गीत को सार्थक कर रहे हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ के मुखिया इमरान खान अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, तो पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के नवाज शरीफ का दावा है कि उनकी पार्टी को जीत हासिल हुई है। अगर साफ-साफ बात कही जाए, तो इस बार पाकिस्तान में ‘वे’ हारे हैं जिनका दावा था कि देश में उनकी इच्छा के बिना कोई सरकार बन ही नहीं सकती है। आप इशारा समझ ही गए होंगे, पाकिस्तानी सेना और आईएसआई।

पाकिस्तान के इतिहास की शायद यह पहली घटना है, जब सेना को बहुत बुरी तरह शिकस्त हासिल हुई है। मतदाता चाहे हमारे देश के हों, पाकिस्तान के हों या बांग्लादेश अथवा दुनिया के किसी भी देश के हों, वे सचमुच किसी को समीकरण बिगाड़ सकते हैं। यह वही पाकिस्तानी सेना है जिसके इशारे पर जनता नवाज शरीफ के लिए नारे लगाती थी कि नवाज शरीफ चो है, मोदी का यार है। जब नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ने सेना से साठगांठ कर ली, तो न केवल उनका निर्वासन खत्म हुआ, बल्कि उन्हें झाड़ पोंछकर जनता के सामने लाकर खड़ा कर दिया गया। जनता भी लगता है कि मन बनाए बैठी थी।

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चुनाव के दौरान जब नवाज शरीफ फ्लाइंग किस उछालते हुए जनता से पूछते थे कि आई लव यू। डू यू लव मी? तब भीड़ चिल्लाती थी कि यस, आई लव यू। लेकिन नतीजा आया, तो जनता ने बेवफा प्रेमी की तरह नवाज से रोमांस किया और निकाह जेल में बंद इमरान खान से कर लिया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नवाबजादे बिलावल जरदारी भुट्टो के तो चुनाव प्रचार के दौरान अलग ही अंदाज थे। वह यह मानकर चल रहे थे कि पाकिस्तानी जनता उन्हें ही प्रधानमंत्री बनाएगी। असलियत सामने आई, तो हाथ से तोते उड़े हुए हैं। सरकार बनाने के लिए अब एक ही विकल्प बचता है उनके सामने। वह नवाज शरीफ से हाथ मिलाएं या फिर इमरान खान के साथ बिरयानी खाएं।

इमरान खान और उनकी पार्टी जिस तरह चुनाव का तमाशा देख रही है, उससे लगता नहीं है कि वह नवाज या बिलावल के साथ समझौता करेंगे। अगर पीएमएल-एन और पीपीपी साथ आ जाते हैं, तो भी बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंचते हैं। सरकार बनाने के लिए 133 सीटें चाहिए जबकि पीएमएल-एन के पास 75 और पीपीपी के पास 54 सीटें हैं। दोनों मिलकर भी लक्ष्य तक नहीं पहुंचते हैं। नाशुक्री जनता के फैसले को लेकर भीतर ही भीतर पाकिस्तानी सेना बेचैन है। उसने सोचा नहीं था कि जनता उनके गाल पर इतना करारा तमाचा जड़ेगी। पाकिस्तान में अब किसकी सरकार बनेगी, यह तो समय बताएगा। लेकिन इतना तो यह है कि सरकार स्थिरता-अस्थिरता के झूले पर झूलती रहेगी।

संजय मग्गू

-संजय मग्गू

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