पिछले कई सालों से जब भी पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करते थे, तब राजनीतिक और मीडिया मंचों पर यह कयास लगना शुरू हो जाता था कि वरुण गांधी की भाजपा से विदाई होने वाली है। एक नहीं पिछले दस साल में अनगिनत मौके सामने आए हैं,जब वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चुटकी ली है। जब किसान आंदोलन के दौरान पूरी केंद्र सरकार और यूपी, हरियाणा सरकार किसानों के खिलाफ खड़ी थी, तब भी वरूण गांधी किसानों के पक्ष में खड़े नजर आए। अब जब पीलीभीत में पहले ही चरण यानी 19 अप्रैल को मतदान होने हैं और नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि वरुण गांधी को इस बार भाजपा टिकट देगी या नहीं? यह सवाल जटिल है, लेकिन 98 प्रतिशत लोगों को यही उम्मीद है कि इस बार भाजपा से वरुण गांधी का पत्ता कटेगा।
जो लोग पीएम मोदी की कार्यशैली से वाकिफ हैं, उनका दावा है कि इस बार वरुण गांधी को टिकट मिलना संभव नहीं है। हालांकि यह भी उतना सच है कि वरुण गांधी के प्रवक्ता मोहम्मद रिजवान मलिक ने यह स्वीकार किया है कि बुधवार को वरुण गांधी के लिए उन्होंने दो हिंदी और दो अंग्रेजी में नामांकन पत्र खरीदा है। यदि भाजपा ने पीलीभीत से वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया तो? बस इसी ‘तो’ का जवाब देने के लिए शायद पहले से ही वरुण गांधी ने चार सेट नामांकन पत्रों का खरीदवा लिया है। यदि भाजपा ने चुनाव में टिकट नहीं दिया, तो उनके पास दो ही आप्शन बचते हैं। पहला यह कि वे निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ें। दूसरा यह कि वे किसी पार्टी में शामिल हो जाएं।
यह भी पढ़ें : हरियाणा को पता नहीं कब मिलेगी अपनी राजधानी?
उत्तर प्रदेश में भाजपा के बाद सपा और कांग्रेस ही ऐसी पार्टियां हैं जिसमें जाने की वरुण गांधी सोच सकते हैं। सपा ने पीलीभीत से भगवत शरण गंगवार को टिकट देकर पहले से ही रास्ता बंद कर दिया है। सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने की वजह से कांग्रेस पीलीभीत से कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं कर सकती है। ऐसे में वह कांग्रेस में शामिल होकर कांग्रेस को मिली किसी सीट पर लड़ सकते हैं। लेकिन क्या वरुण कांग्रेस में जाना पसंद करेंगे? यह भी एक बड़ा सवाल है। यह सच है कि परिवार से अलग होने के बाद भी दोनों भाइयों ने कभी एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं की है। न मेनका और सोनिया ने कभी एक दूसरे के खिलाफ कुछ कहा है।
कुछ महीनों पहले केदारनाथ यात्रा के दौरान भी जब दोनों भाइयों का आमना सामना हुआ था, तब दोनों ने शिष्टाचारवश एक दूसरे से बात की थी और हाल चाल पूछा था। एक बार जब राहुल गांधी से वरुण को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतनी बात कही थी कि वह एक दूसरी राजनीतिक पार्टी में हैं, तो ऐसे सवाल का कोई मतलब नहीं है। ऐसे में साफ है कि यदि भाजपा ने उन्हें पीलीभीत से टिकट नहीं दिया, तो वह पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ने को दृढ़ संकल्पित हैं। हारेंगे या जीतेंगे, यह भविष्य के गर्त में है।
-संजय मग्गू
लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/