Friday, November 22, 2024
18.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiनन्हें शुभदीप का शुभकामनाओं से स्वागत कीजिए, जनाब!

नन्हें शुभदीप का शुभकामनाओं से स्वागत कीजिए, जनाब!

Google News
Google News

- Advertisement -

वैसे यह फैसला उनका व्यक्तिगत था। इसमें किसी को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत भी नहीं थी। लेकिन सिद्धू मूसेवाला की मां चरणजीत कौर के साहस और फैसले की सराहना करनी चाहिए। 58 साल की उम्र में कृत्रिम तरीके से मां बनने का फैसला करना सचमुच एक साहसिक फैसला था। पूरे देश में अपनी गायिकी के लिए प्रसिद्ध शुभदीप सिद्धू मूसेवाला की 29 मई 2022 में कुछ लोगों ने मानसा में गोली मारकर हत्या कर दी थी। सिद्धू मूसेवाला कांग्रेस के नेता भी थे। उनकी हत्या के बाद काफी हो-हल्ला मचा था। राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को भुनाने की भी कोशिश की थी। सिद्धू मूसेवाला अपने मां-बाप की इकलौती संतान थे। अपनी इकलौती संतान की हत्या के बाद मां-बाप की क्या दशा हुई होगी, इसको समझा जा सकता है। साठ साल की उम्र के आसपास पहुंचे मां-बाप को जब किसी सहारे की जरूरत थी, ऐसी उम्र में उन्हें बेसहारा होना पड़ा। यह बहुत बड़ी विडंबना थी।

अपने दुख-दर्द से उबरकर जब उनके पिता बलकौर सिंह और मां चरणजीत कौर ने दोबारा संतान पैदा करने का फैसला लिया, तो पूरे भारत ने इसका स्वागत किया। हमारे समाज में इस उम्र में मां बनने पर कुछ अच्छा नहीं समझा जाता है। गांव-समाज के लोग अकसर ताना मारते हैं। बेटे-बेटियों की शादी करके नाती-पोते खिलाने की उम्र में चली हैं बच्चा पैदा करने। गांव-देहात की छोड़िए, शहरों में पढ़े-लिखे लोगों की यही मानसिकता होती है। इस उम्र की महिला भी अपने को बहुत शर्मिंदा होना पड़ता है जब उसे पता चलता है कि वह गर्भवती है और उसके सामने बच्चे को जन्म देने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। पता नहीं कब और कैसे हमारे समाज में यह धारणा पनप गई कि अधेड़ावस्था में नाती-पोतों को खिलाना, उनकी देखभाल करना और घर में रहकर भगवान का भजन करना चाहिए।

यह भी पढ़ें : आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज करना बंद न करें निजी अस्पताल

माना कि बलकौर सिंह और चरणजीत कौर ने बहुत विषम परिस्थितियों में आईवीएफ से संतान को जन्म देने का फैसला लिया, लेकिन ऐसा फैसला लेना उनके लिए कतई आसान नहीं था। अपने जवान बेटे की बर्बर हत्या के बाद वे दोनों संभल पाए, यही बहुत बड़ी बात है। हां, ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने जो फैसला लिया, उससे हमारे समाज के वे लोग भी आगे बढ़कर अधेड़ावस्था में संतान को जन्म देने का फैसला ले पाएंगे, जो अभी तक ‘लोग क्या कहेंगे’ सोचकर अपनी इच्छाओं को दबा देते थे।

यदि चरणजीत कौर से प्रेरणा लेकर इस उम्र में पहुंची एक भी महिला सीना तानकर कहे कि यह मेरा फैसला है, इसके लिए मैं कतई शर्मिंदा नहीं हूं। तो मैं समझता हूं कि हमारे समाज के लिए चरणजीत कौर का फैसला एक मिसाल की तरह होगा। इन्हीं परिस्थितियों को रेखांकित करती आयुष्मान खुराना अभिनीत फिल्म ‘बधाई हो’ आई थी। फिल्म ने समाज की मानसिकता को बहुत अच्छी तरह से रेखांकित किया था। वह तो फिल्म की बात थी। लेकिन बलकौर सिंह और चरणजीत कौर के इस साहस के लिए सैल्यूट तो बनता ही है। नन्हें शुभदीप को भी खुले मन से शुभकामनाएं देनी चाहिए।

Sanjay Maggu

-संजय मग्गू

लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

केएमपी ट्रैफिक पुलिस ने लेन ड्राइविंग के तहत किए 388 चालान।

नसीम खान देश रोजाना  तावडू, उपमंडल से निकल रहे के एमपी मुंबई एक्सप्रेस वे पर धुलावट केएमपी ट्रैफिक पुलिस द्वारा आए दिन यातायात नियमों की अवेहलना...

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय को मिला इंटरनेशनल अवॉर्ड

कुलपति डॉ. राज नेहरू ने प्राप्त किया बेस्ट यूनिवर्सिटी फॉर इंडस्ट्री इंटीग्रेशन ड्यूल एजुकेशन मॉडल अवार्ड इंडस्ट्री और क्लास रूम को जोड़ने पर मिली एसवीएसयू...

Adani: गौतम अदाणी पर 2,200 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप

21 नवंबर को अमेरिकी अभियोजकों ने उद्योगपति गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर अदाणी समेत सात अन्य व्यक्तियों पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने...

Recent Comments