महिला सशक्तिकरण समाज में स्त्री-शक्ति को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूपों से सशक्त बनाने का प्रक्रियात्मक प्रयास है। इसी उद्देश्य से तो विश्व महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई। इस पहल का मुख्य उद्देश्य नारी को स्वतंत्र, समर्थ और समर्पित बनाना है, ताकि वह अपनी जिन्दगी को सकारात्मक रूप से निर्माण कर सके। महिला सशक्तिकरण समाज में एक महत्वपूर्ण विषय है जिसका महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। सशक्त महिलाएं समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं।
आज महिला सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा बन गया है। महिला सशक्तिकरण एक वैचारिक आंदोलन है जिसका लक्ष्य है स्त्रियों को उनको अधिकार, स्वतंत्रता और समानता का हक देना। लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं है कि पुरुषों को कमजोर बनाया जाए। समाज में समानता के साथ जीवन यापन करने का अधिकार पुरुषों के साथ साथ स्त्रियों को भी होना चाहिए। एक तरफा बात नहीं होनी चाहिए। अगर हमें समतावादी समाज की रचना करनी है तो स्त्री पुरुष दोनों को समान रूप से कदम मिलाकर चलना होगा। अब तो तृतीय लिंग के अधिकारों की भी बात होने लगी है। कहने का मतलब यह है कि धीरे-धीरे हमारा समाज समानता के मूलभूत सिद्धांत की ओर तीव्र गति से कदम बढ़ा रहा है।
महिला सशक्तिकरण का महत्व व्यापक है। यह समाज को समृद्धि, समरसता और समानता की दिशा में बदल सकता है। महिलाएं समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्हें सशक्त बनाना समृद्धि और समानता के प्रति एक सकारात्मक योगदान के रूप में देखा जा सकता है। महिला सशक्तिकरण का सामाजिक और आर्थिक पहलुओं में महत्वपूर्ण योगदान होता है। समाज में समानता की भावना को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को सवाल उठाने और अपने हक की मांग करने का साहस मिलता है। महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कई कदम उठाए जा रहे हैं। शिक्षा महिलाओं को अपने अधिकारों और क्षमताओं की जागरूकता दिलाती है। उन्हें साक्षरता का अधिकार प्राप्त होता है जो उन्हें स्वतंत्र और सशक्त बनाता है। वे अधिक जानकारी और विचारों के साथ समाज में अपनी भूमिका अधिक सकारात्मक ढंग से निभा सकती हैं। शिक्षित महिलाएं समाज में अपनी जगह बना सकती हैं। उन्हें अपने सपनों को पूरा करने का अधिकार मिलता है। शिक्षा से नैतिक मूल्यों का समर्थन करने की क्षमता महिलाओं को मिलती है जो समृद्धि और समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में मदद कर सकती है।
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महिलाओं को आर्थिक आधार प्राप्त करने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाएं और कार्यक्रम हैं। इनमें वित्तीय सहायता, उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय उपाय, और कौशल विकास के लिए योजनाएं शामिल हैं। इनके माध्यम से महिलाएं स्वावलंबी बनती हैं और आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं। समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव को खत्म करने के लिए कानूनी कदम भी उठाए जा रहे हैं। विभिन्न देशों में महिलाओं के लिए समान वेतन, विधिक सहायता और उनके हित में योजनाएं लागू की जा रही हैं। इससे महिलाओं को अपने अधिकारों की प्राप्ति में मदद मिलती है। वे समाज में सम्मानित महसूस करती हैं।
महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, और समाज में समानता के साथ-साथ महिलाओं को अपनी स्वास्थ्य और सुरक्षा की भी जरूरत होती है। उन्हें अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सहायता और अपने अधिकारों की जागरूकता प्राप्त करने की जरूरत होती है। समाज में महिलाओं की सकारात्मक भूमिका में वृद्धि होनी चाहिए। उन्हें निर्णायक भूमिकाओं में शामिल किया जाना चाहिए, जैसे राजनीति, विज्ञान और उद्यमिता। इससे समाज में सामाजिक समता की भावना बढ़ती है और महिलाएं भी सक्रिय रूप से समाज में योगदान कर सकती हैं। महिला सशक्तिकरण समृद्धि, समानता, और समरसता की दिशा में एक प्रमुख सामाजिक उत्कृष्टि है।
(यह लेखिका के निजी विचार हैं।)
-डॉ. योगिता जोशी
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